नई दिल्ली: “गंगा केवल एक नदी नहीं है बल्कि एक भावना है जो हम सभी के साथ जुड़ी हुई है. नई पीढ़ी के सहयोग से गंगा पुनरुद्धार के प्रयासों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.” यह बात राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आयोजित गंगा उत्सव के सातवें संस्करण का उद्घाटन करते हुए जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने कही. मुखर्जी ने नदियों के गहरे सांस्कृतिक महत्त्व का उल्लेख करते हुए गालिब और यमुना के बीच के खूबसूरत संबंध की ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नदियों का संरक्षण सभी की साझी जिम्मेदारी है. उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि ‘पानी सबकी जिम्मेदारी है‘ और उन्होंने हमारे देश के सतत विकास में पानी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है. इस संदर्भ में उन्होंने जल निकायों को दूषित करने वाले ठोस अपशिष्ट के मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला और जोर देकर कहा कि हममें से प्रत्येक को आगे बढ़ना चाहिए और अपनी नदियों की सुरक्षा में योगदान देना चाहिए. इस अवसर पर विशेष सचिव एवं महानिदेशक एनएमसीजी जी अशोक कुमार की उपस्थिति में एनबीटी के सहयोग से प्रकाशित नमामि गंगे पत्रिका के 33वें संस्करण, चाचा चौधरी की नई नदी शृंखला और गंगा पुस्तक परिक्रमा पर आधारित वायेज आफ गंगा बुकलेट का विमोचन भी हुआ. इस अवसर पर गंगा पुस्तक परिक्रमा के दूसरे संस्करण को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. गंगोत्री से शुरू हो कर गंगासागर तक पहुंचने वाली यह 3 महीने लंबी गंगा पुस्तक परिक्रमा उत्तरकाशी, ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कानपुर, प्रयागराज, मिर्ज़ापुर , वाराणसी, छपरा, पटना, बेगूसराय, सुल्तानगंज, भागलपुर, साहिबगंज, बहरामपुर, कोलकाता और हल्दिया, गंगा नदी के तट पर स्थित सभी शहरों और कस्बों से होकर गुजरेगी.
अतिथियों ने जल संरक्षण, नदियों के पुनर्जीवन में सामूहिक सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि जल संरक्षण और नदी कायाकल्प हम सबकी मौलिक जिम्मेदारी है. कुमार ने बताया कि 2008 में गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय गंगा दिवस की शुरुआत हुई. उन्होंने बताया कि कैसे हर साल, यह शुभ दिन बच्चों सहित विभिन्न हितधारकों को खुशी के उत्सवों और गतिविधियों में एकजुट करता है. कुमार ने डा अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के महत्त्व को रेखांकित किया, जहां प्रधानमंत्री ने ‘कैच द रेन‘ अभियान शुरू किया था. इस दौरान उन्होंने देश के कोने-कोने से आए सरपंचों से हमारी साझी विरासत में गंगा की महत्त्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया था. कुमार ने बताया कि गंगा बेसिन में विभिन्न जिला गंगा समितियों द्वारा भी गंगा उत्सव 2023 मनाया गया. हाल के वर्षों में नमामि गंगे ने जिला गंगा समितियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करके गंगा से संबंधित गतिविधियों के विकेंद्रीकरण की हिमायत की है, जो एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि ये बैठकें लोगों के साथ गहरा संबंध बनाने, गंगा प्रहरियों, जिला परियोजना अधिकारियों, गंगा दूतों आदि के माध्यम से लोगों की भागीदारी में सकारात्मक कदम उठाने का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक हैं. उन्होंने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में गंगा नदी डाल्फिन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. गंगा उत्सव की शुरुआत दीप प्रज्वलन और नमामि गंगे एंथम से हुई. कार्यक्रम में पंडित अजय प्रसन्ना का बांसुरी वादन, मनमोहक ‘यमुना गीत‘, उत्तर प्रदेश का पारंपरिक लोक नृत्य, ‘नमामि गंगे‘ गीत आदि की भी प्रस्तुति हुई. गंगा उत्सव संगीत, नृत्य, ज्ञान, संस्कृति और संवाद का एक जीवंत मिश्रण था.