मंदसौर: अखिल भारतीय साहित्य परिषद की मंदसौर इकाई ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर कवि-गोष्ठी का आयोजन किया. इस अवसर पर जनपरिषद के जिला संयोजक और वरिष्ठ पत्रकार डा घनश्याम बटवाल ने मुख्य अतिथि और लाफ्टर फेम कवि मुन्ना बैटरी, वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल बैरागी ने विशेष अतिथि के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. बटवाल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं चाहे उपन्यास हो या कहानियां सभी में मानवीय संवेदनाओं का चित्रण देखने को मिलता है. ईदगाह का हमीद हो या पंच परमेश्वर का अलगू चौधरी या पूस की रात का हल्कू अपने सहज संवादों के कारण आज भी स्मरण में जीवित हैं. तत्कालीन परिस्थितियों का सजीव चित्रण उनकी कहानियों में मिलता है. प्रेमचंद रचित साहित्य आज भी प्रासंगिक है और सदैव रहेगा वे हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं. नंदकिशोर राठौर का कहना था कि प्रेमचंद, जिनका घर का नाम धनपतराय था, ने नवाबराय के नाम से भी लिखा. आपकी रचनाएं मानव दुर्बलताओं को यर्थाथ के साथ परोसती हैं, तो उन दुर्बलताओं का करूण रूप भी प्रस्तुत करती है. बूढ़ी काकी में ‘बुढ़ापा बचपन का पुनरागमन है‘ कथन की पुष्टि इस बाल व्यवहार के उदाहरण से होती है कि बूढ़ी काकी भोजन की लालसा में अधीरता से मेहमानों के बीच पहुंच जाती है.
इस अवसर पर नरेंद्र भावसार ने कहा कि प्रेमचंद उपन्यास एवं कहानियों के लिए ही नहीं जाने जाते हैं, उनकी कविताएं भी समसामयिक हैं. गोपाल बैरागी ने समुद्र कटोरे में आए इसकी बजाय कटोरा समुद्र में जाय कथा सुनाई. अजय डांगी ने ‘क्यों खाते हम दोनों टाइम रोटी‘ कविता सुनाकर भोजन के महत्त्व को प्रतिपादित किया. चंदा डांगी ने ‘काट रहे हो पेड़ों को, तो मेघ कहां बरसेंगे‘ सुनाकर प्रकृति के संतुलन की बात कही. पूजा शर्मा ने ‘ऐसे हाल में भी मस्त हूं, अपने काम में व्यस्त हूं‘ कविता सुनाकर व्यस्त रहो मस्त रहो को प्रतिपादित किया. हरिओम बरसोलिया ने ‘पेंशनरों की थाली, आज भी खाली‘ कविता सुनाई तो विजय अग्निहोत्री ने ‘आजा रे आजा मेघा, बरस जा रे, प्यास धरती की बुझा जा रहे‘ गीत सुनाकर वर्षा का आह्वान किया. बालकवि ध्रुव जैन ने ‘आपके प्यार का क्या जवाब दूं, आप गुलाब हो गुलाब को क्या गुलाब दूं‘, सुनाकर युवा हृदय की उमंग को दर्शाया. इस अवसर पर वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार गोपाल बैरागी को जन्मदिन की शुभकामनाएं और बधाई दी गई. कवि गोष्ठी में नंदकिशोर राठौर, हरिश दवे, अजय डांगी, हरिओम बरसोलिया, विजय अग्निहोत्री, चंदा डांगी, पूजा शर्मा, ध्रुव जैन एवं सिने कलाकार संजय भारती आदि ने रचना पाठ किया. संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया.