जमशेदपुर: क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रयास अब जमीनी स्तर पर दिखने लगे हैं. संताली साहित्य को लेकर जिस तरह का विमर्श इन दिनों बढ़ा है वह इसी का द्योतक है. युवा साहित्यकार सुचित्रा हांसदा ने एक कार्यक्रम में कहा कि कि संताली साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विकासशील स्वरूप के साथ आज एक सशक्त स्थान पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि संताली भाषा का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल और स्वर्णिम है. संताली साहित्य न केवल अपनी संस्कृति और इतिहास को संरक्षित कर रहा है, बल्कि इसे आधुनिक युग के साथ भी जोड़ रहा है. सुचित्रा हांसदा ने युवाओं से अपील की कि वे अपनी मातृभाषा को अपनाएं और इसे लिखने-पढ़ने की आदत विकसित करें. उन्होंने कहा कि मातृभाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान और हमारे अस्तित्व का मूल आधार है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संताली भाषा का विकास तभी संभव है, जब नयी पीढ़ी इसमें रुचि दिखाए और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए. युवाओं को संताली साहित्य में सक्रिय योगदान देना चाहिए, ताकि यह भाषा अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ा सके. सुचित्रा हांसदा ने संताली साहित्य के बढ़ते दायरे और इसके प्रभाव पर भरोसा जताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएगी.
इसी कार्यक्रम में आल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू ने कहा कि युवाओं से संताली साहित्य में सक्रिय भागीदारी निभाना चाहिए. संताली भाषा और साहित्य हमारी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का अभिन्न हिस्सा है. इसे संरक्षित और विकसित करना हर युवा का नैतिक दायित्व है. संताली साहित्य न केवल हमारे समाज के इतिहास और परंपराओं को समेटे हुए है, बल्कि यह हमारी भावनाओं और विचारों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम भी है. युवाओं को चाहिए कि वे इस धरोहर को सहेजने और समृद्ध करने में अपनी भूमिका निभाएं. लेखन, पठन और अनुवाद जैसे प्रयास संताली भाषा को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा पीढ़ी को मातृभाषा में लिखने-पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए. इससे न केवल भाषा का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि इसका साहित्यिक और सामाजिक दायरा भी विस्तृत होगा. किस्कू ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उनकी ऊर्जा और रचनात्मकता संताली साहित्य को सशक्त और भविष्य के लिए प्रासंगिक बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है.