भुबनेश्वर: केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुवी और देसिया भाषा की पुस्तकों का लोकार्पण किया. इस अवसर पर डाक विभाग ने एक विशेष कवर भी जारी किया. यह कोरापुट के ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालयडाक विभाग और एनसीईआरटी के सहयोगात्मक प्रयास का प्रतीक है. लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा कि ओड़िशा की आबादी का 23 प्रतिशत हिस्सा 62 से अधिक जनजातियों का हैइसलिए छात्रों को उनके बोलने के कौशलसीखने के परिणाम और संज्ञानात्मक विकास में सुधार के लिए उनकी स्थानीय प्रकृति और संस्कृति के आधार पर चित्रोंकहानियों और गीतों की मदद से पढ़ाना आवश्यक है. इस संबंध में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने पहली बार ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से दो अमूल्य पुस्तकें ‘कुवी प्राइमर‘ और ‘डेसिया प्राइमर‘ तैयार की हैं. ये ओड़िशा के अविभाजित कोरापुट जिले की कुवी और देसिया आदिवासी भाषाएं बोल रहे बच्चों की मजबूत शैक्षिक नींव को आकार देंगे और ओड़िशा के आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिकभाषाई विरासत और पहचान को संरक्षण और बढ़ावा भी देंगे.

इस अवसर पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 एक बहुत ही प्रगतिशील नीति है. यह विभिन्न लोगों के एक साथ विचार करने और व्यापक विचार-विमर्श का परिणाम है. एनईपी एक लचीली नीति है. यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे केंद्र तय करता है और सभी राज्यों पर थोपता है. उन्होंने बताया कि यह एक व्यापक रूपरेखा है और राज्यों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इसे अपनाने की जिम्मेदारी दी गई है. सीतारमण ने कहा कि जब कोई अपनी मातृभाषा में सीखताबोलता और सोचता है तो विचार की स्पष्टता होती हैजिसका उपयोग बाद में किया जा सकता हैइसलिए मातृभाषा में सीखना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं और बोलियों में प्राइमर पेश करने का कदम एक पीढ़ीगत कदम है और यह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ के दृष्टिकोण को भी समृद्ध करेगा.  दोनो मंत्री पुरी समुद्र तट पर पद्मश्री से सम्मानित सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक द्वारा ‘मेरी माटी मेरा देश‘ पर आधारित सैंड आर्ट देखने गए.