नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी ने ओड़िआ के प्रख्यात नाटककार मनोरंजन दास की जन्मशताब्दी पर संगोष्ठी का आयोजन किया. संगोष्ठी का आरंभ मनोरंजन दास पर साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित विनिबंध के लोकार्पण से हुआ. वक्ताओं का स्वागत साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवाराव ने अंगवस्त्रम एवं साहित्य अकादेमी की पुस्तकें भेंट कर किया. राव ने स्वागत वक्तव्य में भारत में प्रदर्शनकारी कलाओं की समृद्ध परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि मनोरंजन दास द्वारा ही ओड़िआ नाटकों में आधुनिकता का प्रवेश होता है. गौरहरि दास ने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि मनोरंजन दास ओड़िआ नाटक के महानायक थे. उन्होंने सोलह नाटक और पैंतीस एकांकी नाटकों का सृजन किया. उन्होंने ओड़िआ नाटकों को न केवल नई धारा प्रदान की, बल्कि अपना पूरा जीवन ओड़िआ नाटकों के विकास में लगा दिया. महापात्र ने अपने कार्य से पूरी सदी को प्रभावित किया और निरंतर आने वाले बदलावों को अपने नाटकों में बेहद सच्चाई के साथ प्रस्तुत किया. उन्होंने जिन नाटकों में महापात्र ने काम किया और उनको निर्देशित किया है, इसकी जानकारी भी श्रोताओं के साथ साझा किया. बीज वक्तव्य में बिजॅय कुमार सतपथी ने नवनाट्य धारा के प्रवर्तक के रूप में महापात्र याद किया और कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरणा ली और उनके प्रारंभिक नाटक उससे प्रभावित थे. उन्होंने जनमानस तक अपनी बात पहुंचाने के लिए विशेष नाटक लिखे जिसमें आकाशवाणी के लिए लिखे गए नाटकों को शामिल किया जा सकता है. मनोरंजन दास की सुपुत्री ओड़िशी नृत्यांगना सिकता दास ने अपने पिता के कई आत्मीय संस्मरण साझा किए और उन पर लिखी विभिन्न पुस्तकों की जानकारी दी.
अध्यक्षीय वक्तव्य में कुमुद शर्मा ने कहा कि मनोरंजन दास अपने समय के युगबोध को प्रस्तुत करने वाले रचनाकार थे. उनके नाटक वैचारिक धरातल पर सोचने के लिए विवश करते थे. नाटकों को आधुनिक दौर में ले जाने के साथ ही उन्होंने भारत की नाट्य परंपरा का भी अनुशीलन किया. संगोष्ठी के दो अन्य सत्र निर्मलकांति भट्टाचार्य और सत्यव्रत राउत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए, जिसमें जितेंद्र कुमार नायक, अजय पटनायक, श्रीमन मिश्र, तरुणकांति राउत, प्रबोध कुमार रथ, प्रदीप के. मोहंती और बिजयानंद सिंह ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. जितेंद्र कुमार नायक ने मनोरंजन दास के नाटकों के अंग्रेज़ी अनुवाद के दौरान हुए अपने अनुभवों को साझा किया. वहीं अजय पटनायक ने मोहन राकेश और मनोरंजन दास के नाटकों में समानता की चर्चा की. सत्यव्रत राउत ने मनोरंजन दास के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए. तरुणकांति राउत ने मनोरंजन दास के नाटकों की सरल प्रस्तुति पर अपना वक्तव्य दिया. प्रबोध कुमार रथ ने मनोरंजन दास के नाटकों को तीन श्रेणियों में बांटकर समीक्षा प्रस्तुत की. प्रदीप के मोहंती ने मनोरंजन दास को सर्वश्रेष्ठ, यथार्थवादी नाटककार के रूप में याद किया और बिजयानंद सिंह ने नाटकों के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. इस अवसर पर संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन साहित्य अकादेमी के उपसचिव कृष्णा किंबहुने द्वारा किया गया.