मंदसौरः अंजू भावसार की स्मृति में अभा साहित्य परिषद मंदसौर ने काव्य गोष्ठी और भजन संध्या का आयोजन किया. विशेष अतिथि ब्रजेश जोशी ने कहा कि वर्तमान नई पीढ़ी सक्षम है, नई पीढ़ी को सकारात्मकता की ओर मोड़ने की जरूरत है तभी समाज विकास के पथ पर अग्रसर होगा. अध्यक्षता करते हुए पुरातत्वविद पांडे ने कहा कि इस प्रकार की गोष्ठियों के माध्यम से समाज में नई चेतना का संचार होता है. अतिथि डॉ. बटवाल ने गुरु की वंदना करते हुए गुरु के महत्व को प्रतिपादित किया. लोकेंद्र पांडे ने ‘राम नाम साबुन से जो मन का मेल छुड़ाएगा, निर्मल मन के दर्पण में वह राम का दर्शन कर पाएगा’ तथा ‘रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने’ भजन सुनाया. चेतन व्यास में ‘कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं’ गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. गौरव जोशी ने ‘अच्युतम केशवम…कृष्ण दामोदरम, राम नारायणम’ सुनाकर माहौल को भक्ति के रंग में रंग दिया. नरेंद्र त्रिवेदी ने ‘राम रमैया गाए जा’ पर खूब दाद बटोरी. राजा सोनी ने अपने भजन से भगवान पशुपतिनाथ का महिमामंडन किया.
कवि गोष्ठी में हास्य कवि नरेंद्र भावसार में ‘मु एकलो कई- कई करूं ने कठे- कठे मरुं’ सुनाकर लोगों को गुदगुदाया. चंदा डांगी ने पर्यावरण को बचाने की अपील करते हुए रचना सुनाई. गोपाल त्रिपाठी ने ‘आया था जदी नहाया था जावांगा जदी नहावांगा’ इस कविता से खूब हंसाया व दाद बटोरी. अजय डांगी ने जीवनसाथी की आवश्यकता बताते हुए रचना सुनाई. ममता झाला ने संसार की नश्वरता को बताती हुई रचना ‘माना कि दु:ख शाश्वत है’ का पाठ किया. ललित बटवाल, दिलीप जोशी, मुकेश झाला ने भी काव्य पाठ किया. संचालन नरेंद्र त्रिवेदी व गोपालदास बैरागी ने किया. आभार नवीन भावसार ने माना. अध्यक्षता कैलाश चंद्र पांडे ने की. डॉ. घनश्याम बटवाल व देवेश्वर जोशी थे. प्रदीप शर्मा, नवीन भावसार, अभय मेहता, दिलीप जोशी, संजय भारती सहित काव्यप्रेमी व भक्त मौजूद थे.