नई दिल्ली: कवि और राजनयिक अभय के अपनी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए काफी कुछ करते रहते हैं. हाल ही में उनके द्वारा अंग्रेजी में अनूदित मगही भाषा के पहले प्रकाशित उपन्यास ‘फूल बहादुर‘ का विमोचन समारोह संपन्न हुआ. आईआईसी में आयोजित इस कार्यक्रम में उपन्यास के विमोचन के साथ ही बिहारी साहित्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके वैश्विक महत्त्व का जश्न भी मनाया गया. जयनाथ पति द्वारा रचित यह उपन्यास 1928 में प्रकाशित हुआ था, जिसकी कथा-वस्तु मनुष्य के नैतिक पतन और ब्रिटिशकालीन भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार पर केंद्रित थी. ‘फूल बहादुर‘ भारतीय साहित्य में एक विशेष स्थान रखता है, और अभय के का सूक्ष्म अनुवाद यह सुनिश्चित करता है कि व्यापक दर्शकों के लिए इसे सुलभ बनाते हुए इसका सार संरक्षित किया जाए. इस अनुवाद के माध्यम से वे दुनिया भर के पाठकों को जयनाथ पति द्वारा रचित इस मनोरम कथा में डूबने का अवसर प्रदान करते हैं. इस अवसर पर कवि, अनुवादक अभय के ने कहा कि पेंगुइन आधुनिक क्लासिक के रूप में ‘फूल बहादुर‘ के अंग्रेजी अनुवाद का प्रकाशन मगही भाषा और साहित्य के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसका साहित्यिक इतिहास बहुत समृद्ध है.
अभय ने उम्मीद जताई कि कि मगही के प्रथम उपन्यास ‘फूल बहादुर‘ का अंग्रेजी में किया गया मेरा अनुवाद; मगही सहित और बिहार की अन्य भाषाओं जैसे अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मैथिली और सुरजापुरी की रचनाओं के और अधिक अनुवाद का मार्ग प्रशस्त करेगा. इस अवसर पर एक परिचर्चा और अभय के का वाचन भी हुआ, जिसमें बिहारी साहित्य के संदर्भ में ‘फूल बहादुर‘ के महत्त्व और समकालीन समाज में इसकी प्रासंगिकता पर अंतर्दृष्टि प्रदान की गई. परिचर्चा में फिल्म निर्माता सूरज कुमार, वंदना राग, माइली ऐश्वर्या, और पत्रकार अदिति चक्रवर्ती शामिल थे. सत्र का संचालन सांस्कृतिक लेखक और आलोचक मुर्तजा अली खान ने किया. याद रहे कि ‘फूल बहादुर‘ से पहले अभय की पुस्तक ‘द बुक आफ बिहारी लिटरेचर‘ भी चर्चा में थी. इस पुस्तक में अभय ने बिहार में बोली जाने वाली अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली, हिंदी, उर्दू, पाली, संस्कृत और फारसी जैसी विभिन्न भाषाओं में पिछले 2600 वर्षों से अधिक की अवधि में लिखी गई चुनिंदा लघु कथाओं और कविताओं का चयन और संचयन कर अंग्रेजी में अनूदित किया था.