भोपाल: मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन भोपाल द्वारा आयोजित ‘नीलम जयंती शब्द उत्सव‘ में साहित्य, पत्रकारिता, विमर्श, आलोचना, रंगमंच, सिनेमा से जुड़े आयोजनों की भरमार रही. हर दिन कुछ न कुछ हुआ. पहले दिन उपन्यासकार चंद्रभान राही के द्वारा भिक्षा व्यवसाय पर आधारित उपन्यास चौराहा पर सार्थक चर्चा हुई. प्रमुख वक्ताओं में साहित्यकार गोकुल सोनी एवं डा अनिता चौहान शामिल थे. संचालन छिंदवाड़ा के साहित्यकार कुंज किशोर विरूरकर ने किया. सोनी ने ‘चौराहा‘ की तात्विक समीक्षा की और कहा कि एक सफल उपन्यास के तत्वों के अनुरूप लेखक के कला पक्ष एवं भाव पक्ष दोनों सुदृढ़ हैं. ऐसे उपन्यास भिक्षावृत्ति के उन्मूलन हेतु सरकार को सुझाव देने का काम करते हैं. उन्होंने यथार्थवाद, भाषा की सहजता, सरलता एवं संप्रेषणशीलता की प्रशंसा की. चौहान ने चौराहा की संवेदनाओं को उजागर किया और इसे पठनीय कृति निरूपित किया. ‘मध्य प्रदेश के इतिहास में महिलाएं‘ नामक सत्र की अध्यक्षता प्रो सुनीता जैदी ने की, डा वीणा सिन्हा मुख्य अतिथि थीं. डा भारती शुक्ल, बादल सरोज, राकेश दीवान आदि ने अपने विचार व्यक्त किए. संचालन सारिका ठाकुर ने किया.
‘साहित्य और जनसंचार माध्यम‘ सत्र में शशांक अध्यक्ष एवं राजेश बादल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. सत्र में नीलेश रघुवंशी, अनुलता राज नायर और रवींद्र व्यास ने अपने विचार व्यक्त किए. अनुलता नायर ने कहा कि रेडियो ने साहित्य को जन जन तक पहुंचाया है. रेडियो की पहुंच सब्जीवाले से लेकर कार में बैठे एक बड़े बिजनेसमैन से भी है. नीलेश रघुवंशी ने कहा की 90 के दशक के बाद जनसंचार माध्यम, साहित्य की जगह किसी और को देने को कोशिश हो रही है. आज के माध्यमों में साहित्य और जनता के बीच दूरी बढ़ा दी है. ‘साहित्य और पत्रकारिता‘ सत्र की अध्यक्षता बिष्णु नागर ने की. मुख्य अतिथि के रूप में विजय राय ने सत्र को सम्बोधित किया . सत्र में वरिष्ठ पत्रकारों ने भारत में पत्रकारिता के इतिहास और साहित्य से उसके रिश्ते पर विस्तार से चर्चा की. उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार डाक्टर महताब आलम ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा की बदले हालात में भी पाठक का मीडिया पर भरोसा बरकरार है. जहां तक पत्रकारिता और साहित्य का सम्बन्ध है यह अटूट रिश्ता है. सत्र में हरीश पाठक और सर्वमित्रा सुरजन ने भी साहित्य और पत्रकारिता विषय पर अपने विचार रखे. सत्र के सूत्रधार पंकज शुक्ल थे. ‘साहित्य की अकादमिक दुनिया‘ सत्र में विजय अग्रवाल एवं लक्ष्मी शरण मिश्र ने युवाओं में लोकप्रिय साहित्य, हिंदी भाषा छात्रों से होने वाले भेदभाव, गूगल ट्रांसलेशन हिंदी माध्यम के छात्रों की कमियों आदि पर बातचीत की. सत्र का संयोजन व संचालन अभिषेक वर्मा ने किया. ‘साहित्य एवं रंगमंच‘ सत्र में राजीव वर्मा, हिमांशु राय, हेमंत देवलेकर, मुकेश शर्मा एवम स्वस्तिका चक्रवर्ती मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे. संयोजन व संचालन विवेक सावरीकर ने किया.