जोधपुरः अंग्रेजी के धुरंधर लेखक और विश्व के सबसे बड़े आलोचकों में शुमार टीएस इलियट भारत से कहानी परम्परा को खोजते हुए कहते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी कहानी एक अक्षर की है. कवि-आलोचक डॉ अर्जुनदेव चारण ने संवळी संस्थान की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. वे डॉ कप्तान बोरावड़ के कहानी संग्रह ‘आंगणै री आस’ के लोकार्पण समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे. चारण ने कहा कि लोकधर्मिता सहजता में होती है अतिशयता में नहीं. सहज होना बड़ा कठिन काम होता है, लेकिन कप्तान की कहानियां उस सहजता एवं अपणायत दोनों का सम्मिश्रण है. कहानीकार सदैव कल्पना से यथार्थ की ओर बढ़ता है क्योंकि कल्पना के बगैर जीवन का कोई अर्थ नहीं होता.
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि कवि-कथाकार डॉ मंगत बादल ने कहा कि कप्तान बोरावड़ की कहानियां ग्रामीण परिवेश की मानवीय संवेदनाओं से गुंथी हुई सहज एवं सरल कहानियां है. यह बात इस कहानी संग्रह को विशिष्ट बनाती है. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कवि-आलोचक डॉ गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति से हदभांत जुड़ी हुई मानवता की पक्षधर ये कहानियां प्राचीन राजस्थानी ग्रामीण जीवन का पर्याय हैं, जो सच्चे आत्मीय भाव से सराबोर हैं. लोकार्पण समारोह में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत बाल कहानीकार किरण बादल तथा कवयित्री डॉ पद्मजा शर्मा का अभिनंदन किया गया.