नई दिल्लीः इस साल दो अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाली वार्षिक व्याख्यान-माला के तहत गांधी शांति प्रतिष्ठान ने इस साल प्रख्यात भाषाविद् गणेश नारायणदास देवी को बुलाया है. प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित इस 24वीं व्याख्यान माला का विषय है, 'गांधी और भाषा'. प्रतिष्ठान के सचिव अशोक कुमार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दो अक्तूबर, 2018 से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह प्रारंभ हो रहे हैं, जिसके निमित्त देश-दुनिया में व्यापक कार्यक्रमों की योजना है. दो अक्तूबर के इस व्याख्यान से गांधी शांति प्रतिष्ठान अपने कार्यक्रमों का शुभारंभ कर रहा है. उनका कहना था कि आज से करीब 100 साल पहले जब संचार-संवाद के वे साधन उपलब्ध नहीं थे, जो आज हैं, तब भी गांधी ने पूरे देश को आजादी के आंदोलन के लिए एकजुट किया था, तो यह उनकी संवाद क्षमता व भाषा का ही जादू था.
प्रतिष्ठान का मानना है कि जाने-माने भाषाविद् गणेश देवी महात्मा गांधी की भाषा के इस जादू को समझने-खोलने की कोशिश करेंगे. आदिवासियों तथा जनजातियों के बीच रहने तथा भाषा-संस्कृति पर काम करने वाले अप्रतिम भाषाविद् गणेश नारायणदास देवी का व्याख्यान दो अक्टूबर अपराह्न् 3.15 बजे गांधी शांति प्रतिष्ठान सभागार में होगा. याद रहे कि साल 1997-98 में वह गुजरात के आदिवासी गांव में पहुंच वहां के आदिवासियों से मिले थे और उनकी भाषा और बोली को समझ उनके लिए उनकी ही भाषा में एक किताब छापी. इस किताब की कुल 700 प्रति प्रकाशित की गई थीं और आदिवासियों का उत्साह देखते ही बनता था. कई आदिवासी निरक्षर थे, लेकिन अपनी भाषा को किसी कागज पर छपा देखकर उन लोगों की आंखें छलक उठीं. बस तभी से यह भाषा पर काम में लग गए और उनके साथ 3500 लोग जुड़ गए. उन्हीं के नेतृत्व में साल 2010-13 के बीच भारत का भाषायी सर्वे किया गया, जिससे यह तथ्य सामने आया था कि देश में फिलहाल 780 भाषाएं जीवित हैं. लेकिन उनकी चेतावनी यह भी थी कि यदि इन्हें सहेजने की कोशिश नहीं की गई तो अगले 50 वर्षों में इनमें से करीब 400 भाषाएं लुप्त हो सकती हैं.hi