भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थानीय रवीन्द्र भवन में ‘उन्मेष‘ और ‘उत्कर्ष‘ उत्सव को संबोधित कहा कि सौभाग्य है कि हमें अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष‘ और लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के उत्सव ‘उत्कर्ष‘ की मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ. भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है. भारत वह भूमि हैजिसने वसुधैव कुटुम्बकमसर्वे भवन्तु सुखिन:सर्वे भवन्तु निरामय: अर्थात सभी सुखी हों और सबके निरोग रहने का संदेश दिया. रोटीकपड़ा और मकान के साथ-साथ व्यक्ति के सुख के लिए मनबुद्धि और आत्मा का सुख भी आवश्यक है. मनुष्य को यह सुख अगर कोई देता हैतो वह साहित्यसंगीत और कला ही है. आज बड़ी संख्या में गणमान्य साहित्यकारकलाकार और संगीतकारों ने यहाँ अपनी उपस्थिति से शोभा बढ़ाई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ वैभवशालीगौरवशालीसम्पन्न और शक्तिशाली भारत का निर्माण कर रहे हैं और दूसरी तरफ हमारी कलासंस्कृतिपरम्पराओंसाहित्यजीवन मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं. मुझे विश्वास है कि साहित्यकला और संगीत में दुनिया को एक बनाए रखने का सामर्थ्य है. भौतिकता की अग्नि में दुग्ध मानवता को शाश्वत शांति का दिग्दर्शन कलासंगीत और साहित्य ही कराएंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू की स्वच्छता के लिए प्रतिबद्धता से देश उत्साह के साथ प्रेरणा प्राप्त करता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परम्पराओं में आस्था से उनके प्रति आदर और सम्मान का भाव उत्पन्न होता है और देश अपने मूल्यों को याद करता है. प्रधानमंत्री मोदी की पहल से ही ‘उन्मेष‘ और ‘उत्कर्ष‘ जैसे नवाचार सामने आते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां बहुत सी भाषाएं और बोलियों के होते हुए भी देश में मूलभूत एकता है. हमारे साहित्यकारकलाकारसंगीतज्ञों को ऐसे आयोजनों से अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है. ऐसे आयोजन विश्व को एक सूत्र में बांधने में समर्थ और सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश प्राचीन काल से कला और संस्कृति की संगम स्थली रहा है. यहां कलासंस्कृति और वैभवपूर्ण अतीत तथा समृद्धशाली वर्तमान है. यह साहित्यकारों की कर्मभूमि और कलाकारों की तीर्थ भूमि रही है. भीमबैठकाबाघनचनाकुठारखजुराहो इसके सजीव और साक्षात प्रमाण हैं. प्रदेश में कला और संस्कृति के राजाश्रय की प्राचीन परम्परा रही है. राजा भोज हों या माता देवी अहिल्याबाई होंउन्होंने साहित्य और संगीत के संरक्षण में अपना जीवन समर्पित किया. इस धरती पर बाणभट्टकालिदासराजशेखरपतंजलिभर्तृहरिपद्माकर और केशवदास जैसे रत्न हुए हैं. इनका स्मरण कर हम आनंद और गर्व का अनुभव करते हैं. लता मंगेशकरकिशोर कुमारपंडित कुमार गंधर्वउस्ताद अलाउद्दीन खां जैसे कलाकारों को इसी प्रदेश ने जन्म दियायह सौभाग्य हमारे प्रदेश को प्राप्त है. गोपाल शरण सिंहदादा माखनलाल चतुर्वेदीहरिशंकर परसाईवृंदावनलाल वर्मानरेश मेहताअमृतलाल वेगड़भवानी प्रसाद मिश्र जैसे साहित्यकार इस माटी से उपजे. अनेकों पत्रकार वेदप्रताप वैदिकअवनीश जैनसुशील दोषी यहां के थे. श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कवि हृदय राजनेता भी इस प्रदेश से रहेयह उनकी कर्मस्थली रही. ऐसे प्रदेश में उन्मेष और उत्कर्ष के आयोजन के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ.

कार्यक्रम में प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुरसंगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष संध्या पुरेचासाहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिककेंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी उपस्थिति थीं. समारोह में संगीत नाटक अकादमीसाहित्य अकादमीआजादी के अमृत महोत्सव तथा हर घर हेल्दी मिशन पर केन्द्रित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हर घर हेल्दी मिशन के अंतर्गत विश्व रिकार्ड बनाने के लिए केंद्रीय संयुक्त सचिव संस्कृति उमा नंदूरी तथा माय एफएम रेडियो के पदाधिकारी को प्रमाण पत्र प्रदान किया. राष्ट्रपति मुर्मू के सम्मुख विभिन्न नृत्यों की झलकियां प्रस्तुत की गईं. इस विहंगममनोहारी और आकर्षक प्रस्तुति में कलाकारों ने विभिन्न राज्यों और अंचलों के नृत्य प्रस्तुत किए. इस समारोह में 100 से अधिक भाषाओं में 14 देशों के 575 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाती 1000 से अधिक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रदर्शनी भी आयोजित है. समारोह में साहित्य अकादमी द्वारा पुस्तक प्रदर्शनीजनजातीय समुदायों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और भक्तिसिनेमा तथा आदिवासी साहित्य पर सामूहिक परिचर्चा होगी.