उदयपुर: गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा है कि साहित्य वही है जो समाज को साथ लेकर चलता है. वे यहां राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की ओर से वार्षिक समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में पिछले तीन सालों के अकादमी पुरस्कार से साहित्यकारों को नवाजा गया. उन्होंने कहा कि जो समाज और देश की भावना को छोड़ कर चले वो साहित्य जड़ के बिना वृक्ष के समान है. उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वो प्रेम थे. आज लोकतंत्र के लिए गांधी के विचारों के साथ खड़े होने का समय है. इस समय में जो चुप रहेगा, वो अपराधी माना जाएगा. यहां पर राजस्थान के 24 साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया. गोविंद माथुर, आरडी सैनी और पद्मजा शर्मा को अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार मीरां सम्मान से सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार लीलाधर मंडलोई ने कहा कि करुणा, मनुष्यता का पाठ हमने गांधी जी से सीखा है. आज मनुष्यता खतरे में है, इसमें कलम आगे बढ़कर अपना काम करे. लेखक का धर्म सामान्य नहीं है. आने वाली पीढ़ी में से कोई आपसे सवाल करेगा तो आप क्या जवाब दोगे? राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अकादमी के तीन साल के बकाया पुरस्कारों की स्वीकृति देने का निर्णय ऐतिहासिक है. समारोह में भानु भारवि, गुलाम मोइनुद्दीन माहिर, जितेंद्र कुमार सोनी को सुधींद्र पुरस्कार, संदीप कुमार मील, रीना मेनारिया और दिनेश पांचाल को रांगेय राघव, सदाशिव क्षोत्रिय, माधव नागदा, दिनेश कुमार माली को देवराज उपाध्याय पुरस्कार, ओम नागर, उमा और डॉ. विमला भंडारी को कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, अशोक राही, राजकुमार इंद्रेश, प्रमोद कुमार गोविल को देवीलाल सामर, पंकज वीरवाल किशोर, पूरण शर्मा और सत्यनारायण सत्य को शंभु दयाल सक्सेना पुरस्कार, माधव राठौड़, बृजेश माथुर और अश्विनी त्रिपाठी को सुमनेश जोशी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.