इंदौर: “प्रत्येक सृजन धर्मी यह सोचता है कि वह ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा का सर्वोच्च समाज को दे. उसका लेखन सोए हुए और सोने का स्वांग कर रहे लोगों को जगा सके. ऐसी एक कालजयी रचना के लिए वह आजीवन अध्ययनचिंतनमनन और लेखन में लगा रहता है.” यह बात डा योगेन्द्रनाथ शुक्ल ने साहित्यसंस्कृति को समर्पित संस्था अखंड संडे के तत्वावधान में पुस्तक ‘ज्योति जैन का रचना संसार‘ का विमोचन और परिचर्चा में भाग लेते हुए कही. डा शुक्ल ने कहा कि ज्योति जैन की यह कृति इसी वृत्ति का एक प्रयास है. इस अवसर पर कृति संपादक प्रताप सिंह सोढ़ी ने कहा कि साहित्य अपने समय का भावनात्मक वैचारिक स्पंदन होता है. साहित्य मनुष्य को मनुष्य से जोड़ता है. ज्योति जैन का समग्र साहित्य इसी उद्देश्य के साथ पूर्ण सत्य को जीता हुआ अदृश्य अनुभूतियों एवं संवेदनाओं का अहसास कराता है. इस अवसर पर कहानीकार सूर्यकांत नागर ने कहा कि ज्योति जैन का साहित्य गहरे जीवनानुभवों और संवेदना की रचना है. उनकी रचनाओं की बड़ी ताकत सांकेतिकता है. प्रयोगशीलता उनकी पूंजी है. प्रयोग से प्रगति का पथ प्रशस्त होता है. प्रयोग शृंगार की वस्तु नहीं हैरचनात्मक का ही एक रूप है. यह संग्रह ज्योति जैन की रचनात्मक को समग्रता में जानने का जरिया है तो दूसरी तरफ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को समझने का माध्यम भी. रचना में कमोबेश लेखक का व्यक्तित्व मौजूद रहता है. ज्योति जैन की विभिन्न विधाओं की रचनाएं पढ़कर स्पष्ट है कि उनके सामाजिक जीवन और लेखकीय जीवन में कोई भेद नहीं है.

कृतिकार ज्योति जैन ने कहा कि लेखन के संस्कार परिवार से मिले हैं. प्रकृति और प्रेम मेरी प्रिय अनुभूति है. स्त्री को मैं प्रेम का पर्याय मानती हूंइसलिए मेरी रचनाओं में स्त्री व प्रेम के स्वर मुख्य रूप से रहते हैं. सामाजिक विसंगतियां सोचने पर मजबूर करती है तो कलम अपने आप उठ जाती है. मेरा जीवन सकारात्मकता व आत्मविश्वास से भरपूर है. इसलिए मेरी रचनाएँ भी यही संदेश देती हैं. मुकेश इंदौरी ने कहा कि किसी भी विषय पर चिंतन मनन उसका अवलोकन करने का ज्योति जैन के पास एक अलग नजरियाअलग दृष्टिकोण है. यही कारण है कि उनका साहित्य पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देता है. वे अपनी एक अलहदा पहचान रखती है. कार्यक्रम का संचालन मुकेश इंदौरी ने किया. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डा पदमा सिंहडा रवीन्द्र पहलवानवैष्णव इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डा उपेंद्र धरसंपादक गोपाल महेश्वरीडा रमेश गुप्त मिलनमाया बदेकाइंदू पाराशर शोभा प्रजापतिमाधुरी निगममाधुरी व्यासअर्चना मंडलोईसुनीता श्रीवास्तवहरमोहन नेमाब्रजेन्द्र नागरडा शशि निगमचंद्र किरण अग्निहोत्रीसुनीता श्रीवास्तवउषा गुप्तामहिमा शुक्लासुरेखा सिसोदियानवनीत जैनमुन्नी गर्गदिनेश तिवारीरामचंद्र दुबेप्रदीप जोशी रश्मि चौधरीभावना दामलेकार्तिकेय त्रिपाठीसुरेंद्र व्यासचेतन भाटीसुषमा मोघेस्मृति आदित्यमधु टाक आदि साहित्यकार उपस्थित थे.