नई दिल्ली: “साहित्य लेखन एक अलग ही कला है और साहित्यकार एक साधक होता है. साधक साहित्यकार ही एक बेहतर संस्कृति काएक बेहतर समाज का और एक बेहतर देश का निर्माण करते हैं.” यह बात साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित ‘साहित्योत्सव‘ का उद्घाटन करते हुए संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कही. उन्होंने कहा कि साहित्य का उन पर भी बहुत प्रभाव हुआ है और उसी के कारण उन्होंने जीवन में मीठा बोलना सीखा है. मेघवाल ने मैथिलीशरण गुप्त और अन्य कवियों की पंक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि साहित्य मनुष्य में विवेक पैदा करता हैजिसकी राष्ट्र-निर्माण में बड़ी भूमिका होती है. उन्होंने अपनी पत्नी पर लिखी पुस्तक के बारे में चर्चा की. इस अवसर पर साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि भारत देश भाषाओं का सबसे बड़ा संग्रहालय है और साहित्य अकादेमी उसके संरक्षण का कार्य बहुत ही गंभीरता से निभा रही है. साहित्योत्सव द्वारा लेखकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा मंच प्रदान करने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी भाषाओं की विविधता के कारण ही हमारे सोच की परिधि भी बहुत व्यापक हैजिसका लाभ देश की एकता को बनाए रखने में बेहद उपयोगी साबित होता है.

अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि यह साहित्योत्सव सृजन का उत्सव है और यह मनुष्यता को एक बार फिर से आवाज देने का प्रतीक भी है. शब्दों की गूंज के आलोक में हमारी शब्दों की संस्कृति भी आलोकित होगी. साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने साहित्य अकादमी की विगत वर्ष की उपलब्धि के बारे में बताते हुए कहा कि यह साहित्य अकादेमी के 70 वर्ष और साहित्योत्सव का 40वां वर्ष है. किसी साहित्योत्सव का निरंतर 40 वर्ष तक देश के विविधतापूर्ण साहित्य को निरंतर गतिमान बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. सही मामलों में यह भारतीय भाषाओं का उत्सव है. ज्ञातव्य है कि भारतीय संतों के नाम पर निर्मित किए गए सभागारों में संपन्न विभिन्न कार्यक्रमों में एलजीबीटीक्यू लेखक सम्मिलनभारत का भक्ति साहित्यसांस्कृतिक अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में रंगमंचवैचारिकता और साहित्यभारत में बाल साहित्य के अनुवाद से संबंधित मुद्देसाहित्य एवं स्त्री सशक्तीकरणतकनीकी और साहित्य आदि विषयों पर चर्चा हुई. इनमें भाग लेने वाले महत्त्वपूर्ण लेखकों में असग़र वजाहतअर्जुन देव चारणसूर्यप्रसाद दीक्षितनवतेज सरनाब्रात्य बसुअशोक चक्रधरवामन केंद्रेभानु भारतीऑस्कर पुयोलकुमार तुहिनतपन बंद्योपाध्यायपारो आनंदसुजाता प्रसादवर्षा दास आदि.