नई दिल्ली: शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुके वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र के 100वें जन्मदिन पर राजधानी के उपमहानगर द्वारका स्थित ब्रम्हा अपार्टमेंट्स के सामुदायिक भवन में एक भव्य आयोजन हुआ. इस अवसर पर हिंदी के कई साहित्यकार, मिश्र के दिल्ली विश्वविद्यालय के शिष्य, प्रकाशक और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे. कार्यक्रम का आरंभ वेदव्यास गुरुकुल के विद्यार्थियों के स्वस्ति वाचन से हुआ. मिश्र की पौत्री स्निग्धा मिश्र ने सरस्वती वंदना और वेद मित्र शुक्ल ने वंशी पर मंगलाचरण प्रस्तुत किया. प्रोफेसर राम दरश मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि उनके जीवन और साहित्य के केंद्र में सादगी और सहजता रही है. उन्होंने अपनी जीवन-यात्रा से जुड़े आत्मीय पलों को याद करते हुए स्वयं की प्रतिनिधि कविताएं भी पढ़ीं. प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर ने हमारे समय के इस वयोवृद्ध साहित्यकार की सफलता के उल्लेखनीय कारकों में उनके प्रेरणादायी परिवेश, विशेष रूप से गांव से उनके जुड़ाव को एक बड़ा कारक बताया और मिश्र के साथ के अपने अनुभव साझा किए. इस अवसर पत कथाकार ममता कालिया, कवि बालस्वरूप राही सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार रखे.
समारोह में मिश्र से जुड़ी पुस्तकों और उन पर केंद्रित पत्रिकाओं का लोकार्पण भी हुआ. डा ओम निश्चल द्वारा संपादित और सर्वभाषा प्रकाशन से प्रकाशित मिश्र की गजलों का संग्रह ‘खुले मेरे ख्वाबों के पर धीरे-धीरे‘ और निश्चल की ही आलोचना पुस्तक ‘रामदरश मिश्र: जीवन और साहित्य‘ का लोकार्पण ममता कालिया, प्रो अशोक चक्रधर एवं बालस्वरूप राही ने किया. प्रो स्मिता मिश्र द्वारा संपादित व प्रलेक प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘शिनाख्त‘ का लोकार्पण गुजरात से पधारे डा सूर्यदीन यादव एवं डा राहुल ने किया. नई किताब प्रकाशन से प्रकाशित मिश्र की कविताओं का संग्रह ’75 कविताएं‘ का लोकार्पण कवि-कथाकर अलका सिन्हा व डा वेद मित्र शुक्ल ने किया. मिश्र के के शताब्दी वर्ष पर केंद्रित पत्रिकाओं ‘आजकल‘, ‘कथादेश,’ ‘अक्षरा,’ ‘सोच विचार‘ एवं ‘भोजपुरी साहित्य सरिता‘ का क्रमश: डा सुरेश ऋतुपर्ण, राधेश्याम तिवारी, प्रो पवन माथुर, श्रीधरम, डा जसवीर त्यागी, डा सविता मिश्र, प्रो स्मिता मिश्र, जयशंकर द्विवेदी, हरिशंकर राढ़ी, हरेराम पाठक, अमरनाथ अमर एवं उपेन्द्र मिश्र ने किया. समारोह में मिश्र की पत्नी सरस्वती मिश्र व परिवार के अन्य सदस्यों सहित साहित्यकार बी एल गौड़, नरेश शांडिल्य, प्रो सत्यकेतु सांकृत, अनिल जोशी, प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार, सर्वभाषा ट्रस्ट के केशव मोहन पांडेय, अमरदीप कौर, अजय तिवारी, महेश दर्पण, किरण झा, अंजली उपाध्याय, रविशंकर सिंह, डा सन्नी गोड़ आदि उपस्थित थे. संचालन कवि-आलोचक डा ओम निश्चल ने किया. धन्यवाद ज्ञापन मिश्र के पुत्र शशांक मिश्र ने किया. सोशल मीडिया पर इसका लाइव प्रसारण प्रोफेसर स्मिता मिश्र ने किया.