जागरण संवाददाता, शिमला : कवि व लेखक पद्मश्री प्रो. अशोक चक्रधर ने कहा कि शिमला सिर्फ यहां के लोगों का ही नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति का है, जो प्रकृति से प्रेम करता है। प्रो. चक्रधर राजधानी शिमला के गेयटी थियेटर में शुक्रवार को साहित्योत्सव ‘जश्न-ए-अदब सांस्कृतिक कारवां-ए-विरासत-2022″ के उद्घाटन पर हिंदुस्तानी परंपरा “अदब न हो तो” पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जश्न-ए-अदब फाउंडेशन हिंदुस्तानी कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अनुकरणीय कार्य कर रहा है। यह एक महान उत्सव है, जो हमारे देश की कला की विभिन्न विधाओं को एक मंच पर लाता है।
साहित्योत्सव का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, हिमाचल सरकार और भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल करवा रहा है। दो दिन तक कथक, गजल, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन, कव्वाली, किस्सागोई, नाटक, कवि सम्मेलन और मुशायरा होंगे। जश्न-ए-अदब फाउंडेशन के संस्थापक व कवि कुंवर रंजीत चौहान ने कहा कि हमारी विरासत में आज और भविष्य के लिए भी मजबूत प्रासंगिकता के साथ कुछ न कुछ निहित है। कबीर, अमीर खुसरो, गालिब और मीरा बाई की रचनाएं उतनी ही ताजा और प्रासंगिक हैं, जितनी तब थीं जब वे लिखी गईं। हिंदुस्तानी कला, संस्कृति और साहित्य आज के व्यस्त जीवन में चिकित्सीय हैं। बड़ी संख्या में युवा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को समझने, सराहना करने के लिए आते हैं। शिमला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है और हमें खुशी है कि हमारे समय के महान कलाकार इस कार्यक्रम का हिस्सा बन रहे हैं।
थियेटर में काम करने से आत्मविश्वास मिला : दिव्या दत्ता
अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने अपने सत्र के दौरान कहा, “मैं उन दर्शकों को धन्यवाद देती हूं, जिन्हें मैं एक छात्र के रूप में लिखती थी। फिर अखबार के लिए लिखती थी, जिससे मुझे पाठकों के साथ जुड़ने का अवसर मिला। मेरी मां मेरी आदर्श थीं, लेकिन सबसे अच्छी दोस्त थीं। मैं आज भी उन्हें धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझे वह करने दिया जो मैं करना चाहती थी”। दिव्या दत्ता ने कहा कि थियेटर में काम करने के दौरान मुझमें काफी आत्मविश्वास आया। मुंबई में इन दिनों भी थियेटर को खूब प्यार दिया जाता है। ओवर द टाप (ओटीटी) एक बहुत ही लोकतांत्रिक मंच है और इसकी जबरदस्त पहुंच है। दर्शक चुनते हैं कि वे क्या देखना चाहते हैं।