भोपाल: स्थानीय जनजातीय संग्रहालय सभागार में मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी ने अफसाने का अफसाना के तहत ‘कथा साहित्य की नवीन प्रवृत्तियां‘ विषय पर वक्तव्य एवं कहानी पाठ का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार डा उषाकिरण खान ने की. उन्होंने कहा कि अफसाने का अफसाना यही है कि कहानियां कभी खत्म नहीं होतीं. साहित्य में अनेक विधाएं आईंफिक्शन में भी कई विधाएं हैं लेकिन कहानी ऐसी विधा हैजो कभी खत्म नहीं हो सकतीयही अफसाने का अफसाना है.  कार्यक्रम के प्रारंभ में उर्दू अकादमी की निदेशक डा नुसरत मेहदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. साहित्यकार एवं आलोचक प्रो शाफेय किदवई ने कहा कि जिसको हम हकीकत कहते हैंवो भी एक तरह का अफसाना होता हैजिसकी हम भाषा के द्वारा रचना करते हैं. कहानी की शैली कोई आसमान से नहीं उतरतीबल्कि भाषा के द्वारा हम उसे कहानी बनाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने समकालीन उपन्यासोंविशेषकर फिक्शन में बदलावों पर प्रकाश डाला एवं समकालीन कहानीकारों एवं कहानियों पर भी चर्चा की.

राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक और साहित्यकार डा इंदु शेखर तत्पुरुष ने कहा कि जैसे-जैसे परिस्थितियां बदलती हैं तो नई प्रवृत्तियां आती हैं. आज कथा साहित्य में बहुत सारी परिस्थितियां बदली हैं और हमारा कहानीकार उन्हें उकेरने की कोशिश करता हैताकि आप उनका नोटिस लें. ये सारा परिवर्तन नई कहानी या नए उपन्यास में तब आया जब भारत में पहली बार नावेल आया. कहानी कहने की चीज है. आपके पास ड्राफ्ट नहीं है फिर भी आप हजारों सालों से कहानी सुन-सुना रहे हैं. भोपाल के साहित्यकार डा मोहम्मद नौमान खान ने समकालीन उपन्यासों पर चर्चा करते हुए उर्दू के प्रसिद्ध उपन्यासों का वर्णन किया. कहानीकार डा कांता राय ने कहा कि दरअसल मनुष्य का प्रारंभिक साहित्य कथा प्रधान ही है. नाटकउपन्यासकहानी और प्रबंध काव्य के रूप में जो साहित्य प्रत्यक्षित है वह कथा साहित्य ही है. अर्थात परिणाम युक्त घटना का वर्णन जिसमें मनुष्यजीव या जड़ पदार्थ के संबंध की किसी विशेष अवस्थाओं का आदि से अंत तक वर्णन होउसका संबंध कथा से ही है. कथा साहित्य हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन की समस्याओं को परस्पर सामाजिक संबंधों को निभाते हुए एक विशेष प्रकार का कथात्मक रूप विधान है. इस अवसर पर भोपाल के वरिष्ठ साहित्यकार इकबाल मसूद ने अफसानचों पर चर्चा की एवं कहानी ‘कांच का आसमान‘ का पाठ किया. डा इशरत नाहीद ने अपनी कहानी ‘नई रिदा‘ एवं सबाहत आफरीन ने कहानी ‘सुख की नींद‘ का पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन डा मोहम्मद आजम ने किया.