लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने साहित्योदय विकसित भारत @2047 समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा सौरभ मालवीय की पुस्तक ‘भारतीय राजनीति के महानायक: नरेन्द्र मोदी’ का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विराट व्यक्तित्व से परिचय करवाती है, अपितु मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की उपयोगी जानकारी भी प्रदान करती है. हृदय नारायण दीक्षित ने ‘अमृतकाल का साहित्य’ नामक विचार गोष्ठी की अध्यक्षता भी की. समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के पत्र-पत्रिका विभाग के राष्ट्रीय संयोजक डा शिव शक्ति ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य सम्पदा है. हमारी विरासत है. मानव चेतना पर आधारित है हमारा साहित्य. अमृतकाल में और साहित्य लेखन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल हमारे साहित्य का अमृतकाल है. ऐसे में डाक्टर सौरभ मालवीय की पुस्तक अभिनंदनीय है. विशिष्ट अतिथि भारतीय जनता पार्टी के प्रकोष्ठ प्रभारी ओमप्रकाश ने कहा कि साहित्य हमें समृद्ध बनाता है. यह समाज में लोकमंगल की चेतना प्रदान करता है. भारतीय दृष्टि से लेखन आज आवश्यक है.
इस अवसर पर उपस्थित राज्य के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है. महामना मदन मोहन मालवीय ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर शिक्षा की आधार शिला रखी. प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि हमारे साहित्यकारों ने देश की आजादी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. भाजपा उत्तर प्रदेश के मुखपत्र कमल ज्योति के कार्यकारी संपादक राजकुमार ने कहा कि आज जरूरत है राष्ट्रवादी विचारों को लेखन में लाने की. इतिहास को भारतीय दृष्टि से लेखन करने की. मानसी पब्लिकेशन्स से प्रकाशित इस पुस्तक में नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व के साथ-साथ उनके कृतित्व पर भी प्रकाश डाला गया है. लेखक मालवीय का कहना है कि उनके व्यक्तित्व की भांति उनके कार्य भी बहुत ही महान हैं. वह भारत की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति के संवाहक हैं. उनके कृतित्व में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में उनकी भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय एवं सराहनीय है. प्रधानमंत्री मोदी ने ही देश की पौराणिक नगरी अयोध्या में भूमि पूजन कर चांदी की ईंट और चांदी के फावड़े से ‘राम जन्मभूमि मंदिर’ निर्माण की आधारशिला रखी थी. जिस समय वह मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे उस समय देश के करोड़ों लोग अपने घरों में टेलीविजन पर उन्हें देख रहे थे. वे इस स्वर्णिम क्षणों के साक्षी बने थे. यह पुस्तक समकालीन भारत का एक ऐतिहासिक प्रमाण है.