नई दिल्ली: “भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा आंतरिक मानवता व्यक्त होती है, और इसे संरक्षित करने से सुब्रह्मण्य भारती के शब्दों को जीवन मिलेगा कि ‘मनुष्य अमर है.” केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री-स्वतंत्र प्रभार तथा शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने भारतीय भाषा उत्सव के समापन समारोह में यह बात कही. भारतीय भाषा उत्सव शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की जयंती मनाने से जुड़ा उत्सव है. इस वर्ष का विषय ‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ है. यह उत्सव महाकवि भारती को श्रद्धांजलि है और इसका उद्देश्य भाषायी विविधता को बढ़ावा देना और उसका जश्न मनाना है जो हमारे राष्ट्र के सांस्कृतिक ताने-बाने में अंतर्निहित है. चौधरी ने अपने संबोधन में इस पहल की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के आयोजन राष्ट्र को एकजुट करने में कैसे योगदान देते हैं. उन्होंने कोस कोस में बदले पानी, 4 कोस पे वाणी! का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश की विविधता, और अनेकों भारतीय भाषाएं हमारी पहचान का हिस्सा हैं. उन्होंने महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के जीवन और कार्यों का संक्षिप्त वर्णन किया, तथा स्वतंत्रता सेनानी और महान विद्वान के रूप में उनके योगदान पर प्रकाश डाला. इस कार्यक्रम का उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और हमारे नागरिकों के बीच एकता को बढ़ावा देने; स्कूल स्तर पर छात्रों के बीच भारतीय भाषाओं और साहित्य के लिए गहन प्रशंसा को बढ़ावा देने; बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने, शिक्षा और अनुसंधान का भारतीय भाषा माध्यम तैयार करने; और भाषा के प्रति उत्साही लोगों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करने में भाषा के महत्व को उजागर करना था.
केंद्रीय शिक्षा एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डा सुकांत मजूमदार ने आयोजकों को इस आयोजन की संकल्पना के लिए बधाई दी और विभिन्न भारतीय भाषाओं से जुड़े प्रयोगों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी की प्रशंसा की. उन्होंने सभी भाषाओं को एकजुट करने में उनके योगदान के लिए महाकवि सुब्रह्मण्य भारती को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा लोगों को जोड़ने के लिए होती है, उनके बीच विभाजन पैदा करने के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि सभी के लिए हर भाषा का सम्मान करना जरूरी है, क्योंकि वे अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न भारतीय भाषाओं में 25 नए प्राइमर भी जारी किए गए. ये स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय द्वारा पहले ही जारी किए जा चुके 79 प्राइमरों के अतिरिक्त हैं. भारतीय भाषा समिति, एनसीईआरटी, एनआईओएस, एआईसीटीई, सीबीएसई और राज्य एससीईआरटी द्वारा एक प्रदर्शनी भी लगाई गई. कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने स्वागत गीत और बहुभाषी देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए. इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार, शिक्षा मंत्रालय के अपर सचिव आनंदराव वी पाटिल और अनिल कुमार सिंघल, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो चामू कृष्ण शास्त्री, मंत्रालय के अन्य अधिकारी, शिक्षाविद और स्वायत्त संगठनों के प्रमुख भी मौजूद थे. देश भर के स्कूलों में भाषा और प्रकृति में सामंजस्य; भाषा और प्रौद्योगिकी का सम्मिश्रण: डिजिटल युग में शब्दों की शक्ति; भाषा और साहित्य: अंतर्संबंध; भाषा मेला; अभिव्यक्ति की वाकपटुता; वक्तृत्व कौशल गतिविधियां; भाषा और समुदाय; तथा भाषा, संस्कृति और हम: एक क्षेत्रीय उत्सव जैसे विषयों पर कार्यक्रम किए गए.