नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादेमी ने ‘स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू साहित्य का योगदान‘ विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कियाजिसके उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात उर्दू विद्वान अख्तर उल वासे ने की. बीज वक्तव्य ख्वाजा गुलामूसैयदैन ने दियातो आरंभिक वक्तव्य उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक चंद्रभान ख्याल का था. उद्घाटन वक्तव्य मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के कुलपति सैयद ऐनुल हसन ने दिया. इस सत्र की मुख्य अतिथि प्रख्यात उर्दू विदुषी सैयदा सैयदैन हमीद थी. सभी का स्वागत साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने किया. संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो अखतर उल-वासे ने कहा कि भाषाओं का कोई मजहब नहीं होता बल्कि मजहब को जबानों की जरूरत होती है. जबानें संवाद पैदा करती हैंविवाद नहीं. उन्होंने कहा कि उर्दू वो भाषा है जिसने ना सिर्फ पूरे देश को एकजुट किया है बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम  के बहुत सारे अन्य पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य में स्त्री आंदोलन के हवाले से मैं इन दो व्यक्तियों को खास मानता हूंपहला डिप्टी नजीर अहमद और दूसरे अलताफ हुसैन हाली.

उद्घाटन वक्तव्य में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो सय्यद ऐनुल हसन ने कहा कि भारतीय पंचतंत्र का गहरा प्रभाव फ्रांस की क्रांति पर पड़ा है. उन्होंने प्रेमचंद के सोज-ए-वतन समेत ऐसी तमाम किताबों का जिक्र कियाजिन्हें अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था. मुख्य अतिथि प्रो सैयदा सैयदैन हमीद ने अपने परदादा मौलाना अलताफ हुसैन हाली और वालिद ख्वाजा गुलाम सैयदैन के हवाले से स्वतंत्रता संग्राम पर रोशनी डाली. आरंभ में उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने संगोष्ठी के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई विस्मृत साहित्यकारों का उल्लेख करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को उनके बारे में जानना समझना जरूरी है. अगला सत्र डा नरेश की अध्यक्षता में हुआ जिसमें महमूद मलिकचश्मा फारूकी और नौशाद मंजर ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. दिन का अंतिम सत्र माहिर मंसूर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जिसमें कासिम खुर्शीदअबू जहीर रब्बानी और शहनाज रहमान ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. शहजाद अंजुम की अध्यक्षता में हुए सत्र में साजिद कादरीशाजिया उमैर और अनवारूल हक ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. चंद्रभान ख्याल की अध्यक्षता वाले सत्र में रजिया हमीद और अजय मालवीय ने अपने आलेख प्रस्तुत किए.