लेहः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय लद्दाख पुस्तक महोत्सव ने साहित्य, संस्कृति और कला के अनूठे संगम के रूप में अपनी छाप छोड़ी. इस महोत्सव ने बौद्धिक जुड़ाव का जश्न मनाने वाली अपनी विविध गतिविधियों के साथ पूरे क्षेत्र और बाहर से आए अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया. महोत्सव का उद्घाटन लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा ने किया था. उन्होंने ऐसे भव्य आयोजन और सभी उम्र और भाषाओं के लोगों के लिए पुस्तकों की एक विशाल श्रृंखला उपलब्ध कराने के लिए एनबीटी-इंडिया की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक महोत्सव ने न केवल साहित्य का जश्न मनाया बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बौद्धिक विकास को भी प्रोत्साहित किया. महोत्सव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध लेखकों और विशेषज्ञों के मनोरम सत्र, इंटरैक्टिव कार्यशालाएं और विचारोत्तेजक पैनल वाली चर्चाएं आयोजित हुईं. युवा दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली कहानी सत्रों से लेकर पत्र लेखन की लुप्त होती कला को पुनर्जीवित करने वाली कार्यशालाएं और क्षेत्रीय भाषा में साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अनुवाद कार्यशालाओं तक, प्रत्येक दिन रचनात्मकता और पढ़ने को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों से भरा हुआ था.
लद्दाख पुस्तक महोत्सव के इन पांच दिनों के दौरान 40 से अधिक सम्मानित वक्ताओं की एक शानदार श्रृंखला ने 30 से अधिक समृद्ध सत्रों में दर्शकों को बांधे रखा. मुख्य आयोजन स्थल से परे भी इस महोत्सव ने लेह के मुख्य बाजार क्षेत्र और शांति स्तूप के निर्मल वातावरण में ऑफ-साइट कार्यक्रमों से अपनी पहुंच बढ़ाई. इन विविध स्थानों पर उपस्थित लोगों को एक गहन और मनोरम अनुभव प्रदान किया गया, जिससे लद्दाखी साहित्य और संस्कृति के सार के साथ गहरा संबंध विकसित हुआ. लद्दाख पुस्तक महोत्सव 2023 ने पढ़ने की आदत, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मानव आत्मा की असीम रचनात्मकता को बढ़ावा दिया. इसने किताबों के प्रति प्रेम को फिर से जगाया, पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित किया और लेखकों और पाठकों को जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान किया. आगंतुकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया, युवाओं और बुजुर्गों की उत्साहपूर्ण भागीदारी और उत्सव-भावना ने यह जताया कि लद्दाख पुस्तक महोत्सव ने निःस्संदेह इसमें भाग लेने वाले लोगों के दिलों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है और शब्दों का जादू जगाने के साथ ही पढ़ने की संस्कृति विकसित करने और लद्दाख की जीवंत सांस्कृतिक विरासत के अपने उत्सव को जारी रखते हुए अगले साल फिर से लौटने का वादा किया है.