राउरकेला: बाल साहित्य ऐसा होना चाहिए, जो न केवल बाल मन को छुए, बल्कि उसका मनोरंजन करने के साथ ही उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे. यह बात साहित्यकार डा बसंत किशोर साहू ने राज्य स्तरीय ओड़िआ बाल साहित्य सम्मेलन और सारस्वत संवर्धन कार्यक्रम में कही. ओड़िशा की संस्कृति के प्रतीक रजो महोत्सव के दौरान स्थानीय कोयल नगर स्थित आरएसपी सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ हाल में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आयोजन समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ बाल साहित्यकार त्रिलोचन मथा ने की. मुख्य अतिथि शोधकर्ता एवं साहित्यकार डा हरिहर कानूनगो थे. उन्होंने कहा कि कालजयी साहित्य ही ओड़िया अस्मिता को जागृत करेगा. बाल साहित्यकार राजकिशोर पाढ़ी ने कहा कि ऐसे समय में जब बचपन और मानवता संकट में है, अच्छे बाल साहित्य से समाज को मार्गदर्शन मिलेगा.
कार्यक्रम में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं आयोजक अभय दास ने कहा कि साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक हैं. समाज को दिशा देने में साहित्य की भूमिका को समझना आवश्यक है. इस अवसर पर सुविख्यात बाल साहित्यकारों की विभिन्न रचनाओं से युक्त ‘नवप्रभात‘ नामक संकलन का विमोचन भी हुआ. समिति के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत पति और कोषाध्यक्ष मनोज नंद उपस्थित थे. उधर श्रीधर स्मृति ज्ञान विकास केंद्र के मासिक साहित्य सत्र का आयोजन भी पद्मावती मेमोरियल हाल में हुआ. इसमें मुख्य अतिथि कवि एसपी सामंतराय, मुख्य वक्ता कवि ब्रजेंद्र दास, सम्मानित अतिथि उमा शंकर तिवारी और अनिल कुमार दास थे. इस दौरान डा सुभाषचंद्र लेंका ने संस्थान की 44 वर्षों की यात्रा का परिचय दिया. अतिथियों ने ओड़िआ साहित्य, भाषा की महत्ता व विशिष्टता के साथ विश्व स्तर पर ओड़िआ भाषा की सफलता पर अपने विचार रखे. दूसरे सत्र में वरिष्ठ कवि रघुवर धल की अध्यक्षता में कवि उर्वशी पति तथा सुनाफूल पत्रिका के संपादक सुनील मोहंती के संचालन में कविता पाठ हुआ. इसमें सुनील मोहंती, विक्रम आचार्य, प्रणति लेंका, ज्ञान मल्लिक, सुशांत नायक, अशोक पटनायक, पत्रकार अक्षय धल, प्रमोदिनी पटनायक, ममता मल्लिक, संतोष जेना, रघुबर धल, उर्वशी पति, लक्ष्मी नारायण महापात्र, ब्रह्मा नंद पाढ़ी, सौदामिनी पटनायक, प्रकाश नायक ने कविताएं सुनायीं. अंत में कवि विज्ञरंजन मिश्र ने धन्यवाद दिया.