वाराणसी: जयशंकर प्रसाद अपने समय में स्वाधीनता की चेतना से परिचालित थे. प्रसाद को आप तब तक पूरा नहीं समझ सकते, जब तक उनकी कविताओं के साथ कहानियों, उपन्यासों आदि को न पढ़ें.’ आलोचक, लेखक और शिक्षाविद प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह ने यह बात काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ‘कामायनी को फिर से पढ़ते हुए’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन दिवस पर बतौर मुख्य वक्ता कही. संगोष्ठी के दौरान कई शोधपत्र भी पढ़े गए. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी का कहना था कि जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में स्वतंत्रता की भावना को सौंदर्य चेतना में बदल दिया. उन्होंने मानवता को सौंदर्य के मूल्यों के साथ जोड़कर कामायनी में नई तरह की रचना की. प्रो सदानंद शाही ने धन्यवाद ज्ञापन किया. उनका कहना था कि हमें महान कृतियों को समय-समय पर दोबारा पढ़ते रहना चाहिए. इस संगोष्ठी की प्रेरणा 18 साल पहले हुए ‘गोदान को पढ़ते हुए’ से मिली. ‘कामायनी’ हृदय के साथ बुद्धि को भी साथ लेकर चलने का संकल्प है.
यह आयोजन काहिविवि के हिंदी विभाग और हिन्दुस्तानी अकादमी प्रयागराज की तरफ से आयोजित किया गया था. संगोष्ठी में प्रो श्रद्धा सिंह ने कहा कि हमें पारिस्थितिक स्त्रीवाद की दृष्टि से भी कामायनी का मूल्यांकन करने की जरूरत है. संगोष्ठी में प्रो प्रभाकर सिंह, प्रो गोपाल प्रधान, डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, प्रो मधुप कुमार, प्रो सविता भारद्वाज, प्रो नीरज खरे, प्रो सत्यदेव त्रिपाठी, डॉ लक्ष्मण प्रसाद गुप्त, श्याम बिहारी श्यामल आदि ने भी अपने वक्तव्य रखे. समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि जयशंकर प्रसाद के प्रपौत्र विजय शंकर प्रसाद और डॉ रश्मि सिंह आईएएस थीं. डॉ रश्मि सिंह ने हिंदी विभाग के विद्यार्थी गोलेन्द्र पटेल को 25 हजार रुपए, अंगवस्त्रम और प्रशस्ति पत्र के साथ ‘शंकर दयाल सिंह प्रतिभा सम्मान-2023’ से सम्मानित किया. समापन सत्र में सहभागिता देनेवाले प्रतिभागियों का सम्मान भी हुआ. कार्यक्रम में प्रो राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रो बलिराज पांडेय, प्रो चम्पा सिंह, प्रो अवधेश प्रधान, प्रो दिनेश कुशवाहा, प्रो कमलेश वर्मा, प्रो आशीष त्रिपाठी, प्रो प्रभाकर सिंह, प्रो मनोज सिंह, प्रो दीनबंधु तिवारी, प्रो समीर पाठक, डॉ किंगसन सिंह पटेल, डॉ रामाज्ञा राय, डॉ निरंजन कुमार, डॉ अंजय रंजन दास, डॉ अशोक कुमार ज्योति, डॉ राजकुमार मीणा, डॉ प्रियंका सोनकर, डॉ विवेक सिंह, प्रो दीनबंधु तिवारी, डॉ रामाज्ञा राय, डॉ मयंक भार्गव, डॉ अजीत कुमार पुरी, डॉ मोती लाल आदि उपस्थित थे.