उन्नाव: “पत्रकारिता और साहित्य एक सिक्के के दो पहलू हैं. पत्रकारिता अल्पकालिक है. साहित्य दीर्घकालिक है. पत्रकारिता और साहित्य के गहरे संबंध हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.” यह बात सरस्वती विद्या मंदिर में देवर्षि नारद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डा रामनरेश ने कही. उन्होंने कहा कि साहित्य दीर्घकालिक धर्म है. शाश्वत धर्म है. इसे हम गंगा और गंगाजल में जैसे अंतर होता है, वैसे ही समझ सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज ऐसा लगता है राजनीतिज्ञों की क्षमताएं समाप्त हो रही हैं. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता कथानक का रेखाचित्र देता है और साहित्य प्राण चेतना देता है. विशिष्ट अतिथि एवं भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख उत्कर्ष ने कहा कि हमें पत्रकारिता के मूल्यों को समझना होगा. पत्रकारिता और साहित्य साथ-साथ है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजेश शुक्ल ने कहा कि पत्रकारिता का समाज में बड़ा योगदान है. स्वाधीनता दिलाने में अपने जनपद सहित महान पत्रकारों एवं साहित्यकारों का बड़ा योगदान रहा है. अरुण कुमार दीक्षित ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्रभाव पैदा करती है. वंचितों की आवाज बुलंद करती है. पत्रकारिता से जुड़े लोगों को साहित्य के साथ रहना चाहिए. पत्रकारिता और साहित्य के नाभिनाल संबंध है. इस मौके पर सुरेश द्विवेदी, राजेश त्रिपाठी, विनय दीक्षित, दिनेश उन्नावी, मंजूलता अवस्थी, नीतू पाण्डेय, उत्तम मिश्रा, अमित त्रिवेदी आदि ने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर सुधीर शुक्ला, मुन्नर मिश्रा, सुशील तिवारी, दीपक मिश्रा, सचिन त्रिवेदी, शैलेन्द्र पाण्डेय, उदयकान्त बाजपेयी, मोहम्मद अरमान समेत कई पत्रकार, लेखक व अधिवक्ता उपस्थित रहे.