पणजी: कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई ने उन्हें यह पुरस्कार दिया. डोना पाउला स्थित राजभवन दरबार हॉल में दामोदर मावज़ो को ज्ञानपीठ पुरस्कार देते हुए उन्होंने कहा कि कोंकणी अपने साहित्य में गुणात्मक रूप से समृद्ध है, हालांकि यह कुछ लाख लोगों द्वारा ही बोली जाती है. उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता दामोदर मावज़ो को उस साहित्यिक संस्कृति का प्रतीक बताया. इस अवसर पर भारतीय ज्ञानपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीरेंद्र जैन, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद गावडे, फिल्मकार और गीतकार गुलजार सहित अन्य लोग उपस्थित थे. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मान समारोह में शामिल हुए.
पिल्लई ने चार्ल्स डिकेंस और दामोदर मावज़ो की तुलना की और कहा कि दोनों ने अनाथ बच्चों को अपने मुख्य चरित्र के रूप में चित्रित करने के लिए चुना और उनके माध्यम से ‘ईमानदारी से जीने’ के लिए जीवन के सबक की घोषणा की. इन दोनों महान लेखकों ने बहादुरी से ‘समाज को आईना’ दिखाया है. उन्होंने मावज़ो को ‘भारतीय चार्ल्स डिकेंस’ कहा. राज्यपाल ने कहा, “मुझे गोवा के महान लेखक दामोदर जी को यह महान पुरस्कार प्रदान करने पर गर्व और खुशी महसूस हो रही है.” उन्होंने कहा कि मावज़ो के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कार्मेलिन’ को 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. 1981 में प्रकाशित इस उपन्यास का हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, पंजाबी, सिंधी, तमिल, उड़िया और मैथिली भाषाओं में अनुवाद हुआ है. मावज़ो एक ‘ज्ञान सेतु’ हैं, जो कोंकणी और अन्य भाषाओं को जोड़ते हैं. गावडे और गुलज़ार ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए. पुरस्कार से सम्मानित मावज़ो ने भी स्वीकृति वक्तव्य दिया.