जमशेदपुर: स्थानीय तुलसी भवन के मानस मण्डपम में नगर की साहित्यिक संस्था ‘जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद‘ ने पूर्व प्रधान सचिव एवं भोजपुरी दिग्गज डा रसिक बिहारी ओझा ‘निर्भीक‘ जयंती सह स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया. इस अवसर पर साहित्यकार महेन्द्र प्रसाद सिंह को मुख्य अतिथि अरका जैन विश्वविद्यालय के निदेशक डा अंगद तिवारी, विशिष्ट अतिथि चन्द्रेश्वर खां ने संयुक्त रुप से ‘निर्भीक स्मृति सम्मान 2024 प्रदान किया. मुख्य अतिथि ने परिषद के मुख पत्र ‘लुकार‘ के चौवालीसवें अंक का विमोचन भी किया. यह अंक अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 27वें जमशेदपुर अधिवेशन विशेषांक के रूप में प्रकाशित है. कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष प्रसेनजित तिवारी एवं संचालन साहित्य सचिव दिव्येन्दु त्रिपाठी ने किया. कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं डा निर्भीक के चित्र पर पुष्पार्पण के बाद संयुक्त सचिव माधवी उपाध्याय की सरस्वती वंदना ‘जगतव्यापिनी की जय जय जय, हंसवाहिनी की जय जय जय‘ से हुआ.
स्वागत वक्तव्य में प्रधान सचिव डा अजय कुमार ओझा ने सभी उपस्थित साहित्य साधकों का अभिनंदन किया. उन्होंने परिषद द्वारा पिछले ग्यारह वर्षो से दिये जाने वाले डा निर्भीक स्मृति सम्मान की विस्तार से चर्चा की. निर्भीक के प्रति काव्यात्मक श्रद्धांजलि यमुना तिवारी ‘व्यथित‘ एवं कैलाश नाथ शर्मा ‘गाजीपुरी‘ ने प्रस्तुत किया. अतिथियों का साहित्यिक परिचय प्रकाशन सचिव हरिहर राय चौहान ने प्रस्तुत किया. डा अंगद तिवारी ने कहा कि भोजपुरी की ताजगी मेरे मन को हमेशा आनंदित करती है. डा निर्भीक के कृतित्व को अधिकाधिक पढ़ने और समझने की जरूरत है. विशिष्ट अतिथि खां ने कहा कि डा निर्भीक के साथ मैं बहुत लंबे समय तक जुड़ा रहा. भोजपुरी भाषी लोगों को अपनी भाषा का प्रयोग बिना किसी भय और झिझक के करना चाहिए. यह साहसी लोगों की भाषा है. महेन्द्र प्रसाद सिंह ने निर्भीक स्मृति सम्मान मिलने पर कहा कि रंगकर्म में आने पर मुझे अथक परिश्रम करना पड़ा. लोगों के उलाहने भी सुनने पड़े लेकिन आज यह क्षेत्र मेरे प्रयासों के प्रति आप लोगों का उत्साह मुझे ऊर्जा से भर देता है. मैं लौहनगरी बोकारो में रहा और आज लौहनगरी जमशेदपुर में सम्मानित हुआ. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डा निर्भीक कृत हास्य एकांकी ‘लेंस नायक खूब सिंह‘ का मंचन नाट्य संस्था डेट के निर्देशक अनुज प्रसाद के निर्देशन में हुआ. अंत में परिषद की सह सचिव डा संध्या सिन्हा द्वारा आभार प्रकट किया.