नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ‘आईजीएनसीए‘ संरक्षण और सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग ने हाल ही में रवींद्रनाथ टैगोर की याद में एक प्रदर्शनी और व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया. ‘द रेयर फोटोग्राफ्स आफ रवीन्द्रनाथ टैगोर‘ शीर्षक वाली प्रदर्शनी का आयोजन गणेश नारायण सिंह ने किया. इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डा सच्चिदानंद जोशी मुख्य अतिथि थे. सेमिनार में डा फैबियन चार्टियर, नीलकमल अदक और बसु आचार्य सहित प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया, जिन्होंने टैगोर की विरासत पर विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए. संरक्षण एवं अभिलेखागार निदेशक प्रोफेसर अचल पांडे और आईजीएनसीए के कार्यकारी निदेशक डा संजय झा भी उपस्थित थे. डा फैबियन चार्टियर ने रवींद्रनाथ टैगोर के अध्ययन के प्रति उनके 27 वर्षों के समर्पण पर प्रकाश डालते हुए ‘टैगोर के फ्रेंच कनेक्शन‘ विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने फ्रांस में टैगोर के स्वागत पर जोर दिया और धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि और अंततः घरेलू मान्यता में वृद्धि पर प्रकाश डाला. उन्होंने टैगोर की यात्राओं के बारे में उपयोगी जानकारी दी, जिसमें प्रथम विश्व युद्ध के दौरान युद्ध के मैदान का दौरा करने पर उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया भी शामिल थी, जो मानवता के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है. चार्टियर ने एलेक्जेंड्रा डेविड नील के अनुशंसा पत्रों का हवाला देते हुए पश्चिम में टैगोर के भव्य स्वागत की भी चर्चा की. चार्टियर ने टैगोर के यूरोपीय दौरे पर भी प्रकाश डाला कि जब उन्हें व्यापक रूप से स्वीकार किया गया, तो बहस और चर्चाएं हुईं जिन्होंने उनके बारे में धारणाओं को आकार दिया. चार्टियर ने टैगोर को फ्रेंच सिखाने के विक्टोरिया ओकाम्पो के प्रयासों का भी उल्लेख किया. नील कमल अदक ने ‘रवींद्रनाथ टैगोर: द अल्टीमेट फ्लावरिंग आफ एन आर्टिस्ट‘ और बसु आचार्या ने ‘टैगोर की फ्रांस यात्रा और उसके प्रभाव‘ पर बात की.
डा जोशी ने अपने संबोधन में टैगोर के अद्वितीय चरित्र पर प्रकाश डाला और जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद अपनी आधिकारिक उपाधि ‘नाइटहुड‘ लौटाने के उनके उल्लेखनीय निरणय पर प्रकाश डाला, जो टैगोर की भारतीय पहचान को दर्शाता है. टैगोर के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने आगामी प्रदर्शनी पर चर्चा की और बताया कि इस प्रदर्शनी में आईजीएनसीए के अभिलेखीय खजाने के साथ-साथ एलिजाबेथ ब्रूनर, आनंद कुमारस्वामी, शंभू साहा, डीआरडी वाडिया और कपिला वात्स्यायन के संग्रह से दुर्लभ पेंटिंग और तस्वीरें शामिल होंगी. डा जोशी ने टैगोर की कविता ‘प्राण‘ का अनुवादित हिंदी गीत भी प्रस्तुत किया. चल रही प्रदर्शनी में एलिजाबेथ ब्रूनर, आनंद कुमारस्वामी, शंभू साहा, डीआरडी वाडिया और कपिला वात्स्यायन के दुर्लभ संग्रहों की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं. इसमें विभिन्न विषयों जैसे ‘शांतिनिकेतन: शांति का घर‘- इसके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य पर ध्यान केंद्रित करना, ‘टैगोर के पारिस्थितिक आवास और कृषि संबंधी गतिविधियां‘- उनके पर्यावरणीय प्रयासों की खोज, ‘टैगोर और गांधी‘- उनके संबंधों में रुचि और ‘गुरुदेव ‘रवींद्रनाथ टैगोर और उनका फ्रेंच ओडिसी‘- जो उनके फ्रांसीसी संबंधों पर प्रकाश डालता है, को भी शामिल किया गया है. सुलग्ना बनर्जी की मनमोहक आवाज ने रवींद्र संगीत के मधुर सार को जीवंत कर दिया. कार्यक्रम का संचालन संरक्षण और अभिलेखागार प्रभाग के सुधीश शर्मा ने किया और अरिजीत दत्ता ने औपचारिक धन्यवाद प्रस्तुत किया.