नई दिल्ली: भारत की समृद्ध और विविधता पूर्ण फिल्म विरासत को बचाने, संरक्षित करने, पुनर्स्थापित करने और प्रदर्शित करने के असाधारण और निरंतर प्रयासों में जुटे फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन की 10वीं वर्षगांठ पर भारतीय डाक विभाग मुंबई में एक विशेष डाक कवर और डाक टिकट जारी करने जा रहा है. इस अवसर से खुश फाउंडेशन के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने कहा कि जब मैं बच्चा था, तब से मैं डाक टिकट इकट्ठा करता था. पत्र लिखना पसंद करता था. डाकघर जाना पसंद करता था. यह मेरे नाना ने मुझे सिखाया था. वे लगभग 90 वर्ष की आयु तक प्रबुद्ध पत्र-लेखक थे. आज भी मैं पत्र लिखता हूं और पोस्ट करता हूं. जिस भी शहर और कस्बे में जाता हूं, वहां के डाकघरों में जाता हूं. इसलिए हमारी फिल्म विरासत को बचाने के हमारे काम की सराहना में मिले इस सम्मान से मैं अभिभूत हूं. मैं भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा हमारी फिल्म विरासत के महत्त्व को स्वीकार करने और विशेष कवर पर सेल्युलाइड को संरक्षित करने की चुनौतियों के चित्रण की सराहना करता हूं.
याद रहे कि फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन फिल्म संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहा है. फाउंडेशन चलती हुई छवियों की मरम्मत, संरक्षण और पुनर्बहाली का कार्य करने के साथ ही सिनेमा की भाषा के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए अंतःविषय कार्यक्रम विकसित करने के लिए समर्पित है. यह इंटरनेशनल फेडरेशन आफ फिल्म आर्काइव्स का भी सदस्य है. फाउंडेशन ने अब तक फिल्म सेल्युलाइड सहित लगभग 700 फिल्मों को संरक्षित किया है. फाउंडेशन के पास कैमरे, प्रोजेक्टर, पोस्टर, गीत पुस्तिकाएं, लाबी कार्ड, किताबें, पत्रिकाएं और फिल्म से संबंधित यादगार वस्तुओं की लगभग 200,000 वस्तुओं का संग्रह है. फाउंडेशन के पास फिल्मों और फिल्म से संबंधित यादगार वस्तुओं के संरक्षण, फिल्म बहाली, प्रशिक्षण कार्यक्रम, बच्चों की कार्यशालाओं, मौखिक इतिहास परियोजनाओं, प्रदर्शनी और उत्सव क्यूरेशन और प्रकाशन से लेकर फिल्म संरक्षण गतिविधियों के व्यापक दायरे में फैले हुआ कार्य क्षेत्र हैं. फाउंडेशन ने अरविंदन गोविंदन की ‘कुम्माट्टी‘ और ‘थम्प‘, अरिबम श्याम शर्मा की ‘इशानु‘ और श्याम बेनेगल की ‘मंथन‘ सहित भारतीय सिनेमा की भूली-बिसरी फिल्मों को पुनर्स्थापित किया है. फाउंडेशन इसके लिए भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और म्यांमार में कार्यशाला भी आयोजित कर चुका है.