नई दिल्ली: “भारतीय ज्ञान परंपरा दुनिया की सबसे पुरानी में से एक है और यह स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और विश्व शांति के सिद्धांतों को स्वीकार करती है.” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित ‘वेदों में निहित भारतीय ज्ञान परंपरा और सर्वोत्तम जीवन मूल्य‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कही. सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि वेदों में जलवायु परिवर्तन सहित दुनिया के सामने आने वाली कई चुनौतियों का समाधान विद्यमान है. उन्होंने बताया कि वेद प्रकृति की पूजा और पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण जैसी प्रथाओं पर जोर देते हैं. उन्होंने कहा, ‘वेदों का सबसे प्रमुख पहलू इसकी दीर्घजीवन है, यानी, यह सनातन है, हालांकि, एक वर्ग है जो वेदों और उसके मूल्यों पर हमला कर रहा है. ऐसे प्रयास निरर्थक साबित हो सकते हैं.‘ यह उल्लेख करते हुए कि लोकतंत्र को अक्सर पश्चिम देशों द्वारा दुनिया को दी गई शासन प्रणाली माना जाता है, रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ें वैदिक काल में पाई जाती हैं, जहां ‘सभा‘ और ‘समिति‘ जैसी प्रतिनिधि प्रणालियां मौजूद थीं.
सिंह ने कहा कि वैदिक काल महिला सशक्तिकरण का काल था क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार प्राप्त थे. उन्होंने कहा, वैदिक काल की ऐसी महिलाओं के कई उदाहरण हैं जिन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में योगदान दिया है. भारतीय संस्कृति की शक्ति को रेखांकित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “पूरे इतिहास में, हमारी संस्कृति कई हमलों के बावजूद गर्व के साथ विकसित हुई है. इसका कारण वैदिक मूल्य और प्राचीन ज्ञान परंपरा है जिस पर यह आधारित है.” सिंह ने ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लोगों के सामाजिक जागृति में स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज और ‘वेदों की ओर लौटो‘ के अपने आह्वान के माध्यम से भारत के पुनर्जागरण में बहुत बड़ा योगदान दिया. रक्षा मंत्री ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर भी स्मरण किया, जिसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. सिंह ने कहा कि डा राधाकृष्णन ने राजनीति के अतिरिक्त शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कहा कि यह दिन उनकी विद्वता, उनके दार्शनिक योगदान और राष्ट्र के लिए उनकी उपलब्धियों को श्रद्धांजलि देने का दिन है.