वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केन्द्र स्थित राहुल सभागार में कवि एवं आचार्य प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल के यात्रा संस्मरण की पुस्तक ‘देस देस परदेस’ का लोकार्पण हुआ. सेतु प्रकाशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वरिष्ठ आलोचक प्रो सूरज पालीवाल और मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो विजयनाथ मिश्र थे. पालीवाल ने कहा कि यह कवि की उम्मीद का संस्मरण तो है लेकिन इस संस्मरण में भी समय का प्रतिरोध दर्ज है. प्रो मिश्र ने कहा कि ‘देस देस परदेस’ पुस्तक में देखे हुए दृश्य को एक ऐसी भाषा में रचा गया है जो पाठकों के मन में आकर्षण पैदा करती है. यह पुस्तक लेखक के साहित्यिक संस्कार और सरोकार का पता भी देती है. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार प्रो वशिष्ठ अनूप ने की.

पुस्तक के लेखक प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यात्रा संस्मरण महज दृश्य नहीं दर्शन भी है. जहां घटनाओं का वर्णन नहीं बल्कि उनसे निकले स्वप्न रहते हैं. इस अवसर पर शुक्ल ने यात्रा संस्मरण के कुछ अंशों का पाठ भी किया. कार्यक्रम में मराठी कवि प्रो सदानंद भोसले, आलोचक प्रो कमलेश वर्मा, आलोचक डॉ प्रभात मिश्र, आलोचक डॉ महेंद्र प्रसाद कुशवाहा, आलोचक डॉ विंध्याचल यादव ने भी विचार रखा. कार्यक्रम में प्रो शोभा पालीवाल, प्रो बलिराज पांडेय, प्रो सरफराज आलम, प्रो अखिलेश कुमार, प्रो कृष्णमोहन पांडेय, प्रो दीप्ति रंजन पटनायक, नरेंद्र मिश्र, डॉ संदीप, डॉ उर्वशी गहलोत, डॉ रवि सोनकर, डॉ शैलेन्द्र सिंह, डॉ मुसर्रफ, डॉ एहसान हसन, शैलेश तिवारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय थी. कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा जूही त्रिपाठी और अतिथियों का स्वागत अक्षत पांडेय, धन्यवाद ज्ञापन आर्यपुत्र दीपक ने किया.