सूरत: “जीवन में सबसे पहले आचरण की शुद्धता आवश्यक है. इसे हमेशा बरकरार रखें. जिंदगी भर सीखने का भाव रखेंगे तो कहीं दिक्कत नहीं आएगी.” यह कहना था गुजराती फिल्मों के लेखक, गीतकार प्रेम दवे का. वे श्री समस्त गुजरात ब्रह्म समाज की ओर से अडाजण के बद्रीनारायण मंदिर में आयोजित समाज के तेजस्वी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में 10वीं और 12वीं के कुल 94 विद्यार्थी सम्मानित हुए. दवे ने अपने जीवन के अनुभवों को भी विद्यार्थियों से साझा किया. उन्होंने विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में समभाव रखने और आसपास के वातावरण से प्रभावित होने की बजाय अपने अंदर जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाला ही सिद्धपुरुष बन सकता है. दवे ने कहा कि सनातन धर्म परंपरा में जितने भी ज्ञान के माध्यम हैं चाहे वे वेद, उपनिषद या कोई भी धार्मिक ग्रंथ हों, सभी अपने अंदर जाने की सीख देते हैं.

कार्यक्रम में वक्ताओं ने विद्यार्थियों को जीवन में सफलता के मार्ग बताए तो लव-जिहाद जैसी चीजों से सचेत रहने की सीख भी दी. इस दौरान छात्राओं ने कत्थक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुति भी की. कार्यक्रम में ब्रह्म समाज के अलग-अलग पेशे से जुड़े 31 अग्रणी व्यक्ति उपस्थित थे. समाज के अध्यक्ष जयदीप त्रिवेदी ने सभी का सम्मान किया. इस अवसर पर श्री अन्नपूर्णा माता मंदिर, पाल के ट्रस्टी नितिन मेहता, आचार्य श्री शांडिल्य ऋषि वेद संस्कृत पाठशाला के अशोक जोशी, नासा के वैज्ञानिक मितुल त्रिवेदी, भाजपा नेता नितिन भजियावाला, समस्त ब्रह्म विकास परिषद के महामंत्री विनय व्यास, विपीन त्रिवेदी, सुरेश व्यास, योगेश शुक्ल, हरेश जोशी, अंकुर शुक्ल, प्रसन्न भट्ट आदि मौजूद रहे.