नई दिल्लीः इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित ‘संघ और सरकार’ पुस्तक के लोकार्पण अवसर पर पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मैं सोचता हूं कि यह किताब विपक्षी नेताओं को भी भेजूं. लेकिन राहुल गांधी को यह किताब भेजने से कोई फायदा नहीं, हां जयराम रमेश समझदार हैं, उन्हें जरूर भेजूंगा. लेकिन सवाल उठता है कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने निकले राहुल गांधी के फ्रेंड, फिलॉस्फर एवं गाइड जयराम रमेश इस किताब को पढ़ेंगे? और इसे पढ़ कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति उनके मन का कलुष धुल जाएगा? या पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों में जयराम रमेश इस किताब को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करेंगे? वैसे जावडेकर अगर यह किताब भेजें तो जयराम रमेश को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए क्योंकि लेखक संतोष कुमार ने जितना भी लिखा है, उसमें बहुत हद तक तटस्थता बरती है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लांछन लगाने वाले ये जान लें कि इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के बाद अगर देश में लोकतंत्र बहाल हुआ, तो वह आरएसएस की वजह से. इमरजेंसी के खिलाफ जेल जाने वालों में 90 प्रतिशत आरएसएस के लोग थे. उ
जावड़ेकर ने कहा कि हिंदुत्व संकीर्ण नहीं है. संघ पूरी तरह उदार है. इस किताब को पढ़ो तो समझ में आएगा कि संघ क्या चीज है. संघ में बहिष्करण की थ्योरी है ही नहीं. जावडेकर ने आगे कहा कि संघ की फिलासफी सेवा और सुशासन है. पीएम मोदी जो भी कर रहे हैं वह सब के लिए कर रहे हैं. मज़हब नहीं देखते. ऐसा इसलिए क्योंकि वे स्वयंसेवक हैं. संघ ने उन्हें संकीर्णता सिखाई ही नहीं. वहीं केरल में क्या होता है. वहां की सभी सरकारें भेदभाव करती हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि अंग्रेजी साहित्य के पुरोधा एवं कालजयी नाटककार शेक्सपियर आज होते तो वे भी इस किताब के लेखक संतोष कुमार से कुछ सीखते. उन्होंने कहा कि लेखकों पर आफत के रूप में देखे जाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की लेखकीय क्षमता के बारे में बहुत कुछ सुनने में आ रहा है, लेकिन एआई ऐसी किताब नहीं लिख पाता जैसी संतोष कुमार ने लिखी है. राय ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित इस पुस्तक को पढ़ने योग्य बताया. लेखक संतोष कुमार ने भी अपने विचार रखे. यह पुस्तक प्रभात पेपरबैक्स से प्रकाशित है.