नई दिल्ली: “आजकल की संस्थागत चुनौतियांभीतर और बाहर सेअक्सर प्रामाणिक संवाद और सार्थक अभिव्यक्ति की कमी से उत्पन्न होती हैं. अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं. अभिव्यक्ति और संचार एक-दूसरे के पूरक हैं. इन दोनों के बीच सामंजस्य सफलता की कुंजी है.”  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संस्थागत चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र केवल प्रणालियों पर निर्भर नहीं होताबल्कि यह मूल्यों पर आधारित होता है… यह अभिव्यक्ति और संवाद के बीच संतुलन पर केंद्रित होता है. ये दोनों शक्तियां लोकतांत्रिक जीवन की प्रेरक शक्ति हैं. इनकी प्रगति का माप व्यक्तिगत पदों से नहींबल्कि समाज के व्यापक लाभ से होना चाहिए. भारत की लोकतांत्रिक यात्रा यह दिखाती है कि विविधता और विशाल जनसंख्या की क्षमता राष्ट्रीय प्रगति को कैसे प्रेरित कर सकती है. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैंहमें यह पहचानना होगा कि लोकतांत्रिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता राष्ट्रीय विकास के अपरिहार्य भागीदार हैं.” उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे भीतर अहंकार अनियंत्रित होता हैहमें इसे नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. अहंकार किसी के लिए नहीं हैयह सबसे अधिक उस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता हैजो इसे अपने भीतर रखता है.

स्वयं के मूल्यांकन पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि स्वयं का मूल्यांकन बहुत महत्वपूर्ण है. अगर आप या कोई संस्था आत्म-समीक्षा से परे होतो उसका पतन निश्चित है. आप जब आलोचना से परे होते हैंतब आपका पतन निश्चित है. इसलिएस्वयं का मूल्यांकन बहुत आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक सिविल सेवक को तकनीकी रूप से सक्षम होना चाहिएपरिवर्तन के संवर्धक होने चाहिए और पारंपरिक प्रशासनिक सीमाओं को पार करना चाहिए. सेवा हमारा आधार है. आपके कार्यप्रशासनिकवित्तीय सलाहकारनियामक और लेखा परीक्षकों के रूप में विकसित होने चाहिएताकि वे कल की चुनौतियों का सामना कर सकें. इस विकास की मांग है कि हम सेवा वितरण को पारंपरिक तरीकों से अत्याधुनिक समाधानों में बदलें. हम एक नए औद्योगिक क्रांति के कगार पर हैं. डिजिटल प्रौद्योगिकियां हमारे जीवन में हर जगह प्रवेश कर चुकी हैं – हमारे घरों मेंकार्यालयों मेंहर जगह. ये हमें चुनौतियां और अवसर दोनों प्रदान करती हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ताइंटरनेट आफ थिंग्समशीन लर्निंगब्लाकचेन इत्यादि. हम इनके प्रभावों को महसूस कर रहे हैं. हमें इन चुनौतियों का सामना करना है और उन्हें अवसरों में बदलना हैताकि देश के हर व्यक्ति का जीवन उसकी आकांक्षाओं से सहज रूप से जुड़ा हो. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधियासंचार एवं उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री मनीष सिन्हासदस्य वित्तडिजिटल संचार आयोग और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.