नई दिल्ली: “मैं उस दौर का हूं जब पुस्तकालय बहुत प्रासंगिक था. सैनिक स्कूल का छात्र होने के नाते, हमारे पास सप्ताह में एक घंटा पुस्तकालय के लिए होता था. मैं अब भी पढ़ता हूं, याद करता हूं, मुझे छोटी-छोटी किताबें, जीवनियां मिलती थीं जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के उन लोगों से प्रेरित होती थीं. पुस्तकालय में जाकर मुझे यह देखने का अवसर मिला कि पिकासो कौन थे. मुझे विवेकानंद जी, रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में पता चला और उनका प्रभाव अमिट हैं.” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फेस्टिवल ऑफ लाइब्रेरीज के समापन अवसर पर कही. उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों के सभ्यतागत इतिहास वाले देश में इस तरह का कार्यक्रम होने से अधिक उपयुक्त कुछ नहीं हो सकता, वह भी ऐसे समय में जब हम ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव‘ के दूसरे चरण में हैं. यह पुस्तकालयों के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और भारत में पढ़ने की संस्कृति विकसित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि मुझे पुस्तकालय महोत्सव 2023 के समापन समारोह में शामिल होकर काफी खुशी हो रही है. इस महोत्सव का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया था. यह निश्चित रूप से दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ प्रतिष्ठित पुस्तकालयों को सामने लाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम है कि पढ़ने की संस्कृति को एक मंच के माध्यम से सुगम बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में आधुनिक पुस्तकालयों के विकास के लिए कार्योन्मुख नीतियां बनाना एक कठिन कार्य है. हम विभिन्न भाषाओं, क्षेत्रीय व्यंजनों और विभिन्न प्रकार की जलवायु परिस्थितियों वाले देश हैं. लेकिन सफलता हर गांव तक पहुंचने में है. एक जागरूक नागरिक किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सबसे बड़ी शक्ति है. केवल जागरूक नागरिक ही राष्ट्र विरोधी शक्तियों और घटनाओं को बेअसर कर सकते हैं और जागरूक नागरिक की स्थिति हासिल करने के लिए पुस्तकालय- सार्वजनिक पुस्तकालय सबसे बेहतर हैं. यह एक बड़ा काम है जिसमें मंत्रालय लगा हुआ है और मैं इसकी सराहना करता हूं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं यहां पर रवीन्द्रनाथ टैगोर की बात का उल्लेख कर रहा हूं, उन्होंने कहा था ‘किताबें दुनिया की खिड़कियां हैं.‘ इससे अधिक व्यावहारिक और यथार्थवादी कुछ नहीं हो सकता. आप किसी पुस्तकालय में जाते हैं, आप एक किताब खोलते हैं और आपको एहसास होता है कि आपने दुनिया के लिए एक खिड़की खोल दी है. पुस्तकालय विद्या का मंदिर है, एक ऐसा स्थान जहां मानव मन पूजा करने के लिए जाता है.