भिवानीः स्थानीय कृष्णा कॉलोनी के परमहंस तपोभूमि योगाश्रम के प्रांगण में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. महाराज कृष्णानंद सरस्वती के सान्निध्य में हुए इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कथाव्यास स्वामी मदन मोहन अलंकार ने की. मंच संचालन हंसराज गुलाटी ने किया. कवयित्री बलजीत कौर तन्हा ने पढ़ा, ‘ढूंढ रही हूं वो बच्चे, जो मां-मां कहकर बुलाते थे, वो बच्चे जो मदर्स डे नहीं मनाते थे.’ बलजीत कौर तन्हा ने अपनी हास्य कविता ‘कुटाई होनी चाहिए’ सुनाते हुए व्यंग्य किया कि जो बच्चे पहले गुरुजनों से, घर में बड़ों से व पड़ोसियों से छोटी-छोटी बातों पर कुटते अर्थात पिटते थे, वे सफल हो जाते थे. कवि राजेश चेतन ने कहा कि गुरुदेव की कृपा ऐसी है कि उनके पांव छुए तो काम हुए. उन्होंने राम की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि राम वन गए तो बन गए.

इस अवसर पर हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक डॉ मुक्ता मदान ने पढ़ा, ‘तुम ही मेरे कृष्ण-कन्हैया, तुम ही बसे हो रोम-रोम में, माया ने मुझको भरमाया, विषय-वासना ने उलझाया’. कवि मिढ्ढा ने अपनी कविता में कहा कि जो इस आश्रम में आता है, वो यही का हो जाता है. कवि व भजन गायक शंकर ने सुनाया, ‘मैं वारि-वारि सदके, गुरु चरणों पर बलिहारि सदके’. कवि राधाकृष्ण ने सद्गुरु का गुणगान करते हुए दो पंक्तियों से सभी का मन मोह लिया. अपने आर्शीवचन में श्रीकृष्णा नंद सरस्वती ने कहा कि कवि अपनी पंक्तियों व गायन के माध्यम से हंसने व हंसाने का काम करते हैं, ये भी एक तरह से योग है. कार्यक्रम के समापन पर स्वामी मदन मोहन अलंकार ने ‘चाह’ शब्द पर कुछ पंक्तियों को पूरे जीवन की चाह से जोड़ते हुए कवि सम्मेलन को विराम दिया.