नई दिल्ली: करुणासहानुभूति आदि जैसी गहरी मानवीय संवेदनाएं पाठ्यपुस्तकों से नहींबल्कि जीवन के अनुभवों से आती हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 आगामी पीढ़ी को राष्ट्र और समाज प्रथम की भावना के आधार पर बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार कर रही है. यह बात केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कला उत्सव 2023 के उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में कही. इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. प्रधान ने कहा कि यह उत्सव स्कूली छात्रों की रचनात्मक और कलात्मक प्रतिभा का पोषण करके भारत की सांस्कृतिक विविधता को जोड़ता है. इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी. पूरे देश को इन बच्चों की प्रतिभा और क्षमता पर भरोसा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बच्चों की प्रतिभा और कौशल को निखारनेउनके सर्वांगीण विकास और उन्हें विकसित करने के लिए खेल-आधारित शिक्षाखेलकलाशिल्प और अन्य सभी रचनात्मक प्रयासों को मुख्यधारा में लाएगी. इस तरह बच्चों को 21वीं सदी में नेतृत्वकारी भूमिका के लिए तैयार करेगी.

प्रधान ने शिक्षा मंत्रालय से कला उत्सव को देश के सभी स्कूलों तक ले जाने के लिए आगे बढ़ने और समग्र स्वरूप में बच्चों की भागीदारी लाने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक बच्चे को उसकी रुचि और प्रतिभा के अनुसार व्यापक मंच देकर ही विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है. प्रधान ने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए खेलकलासंस्कृतिहैकथोन आदि के रूप में अनुभवात्मक शिक्षा के घटकों को जोड़ा गया है. ऐसी विशेषताएं छात्रों में वृहद सोच के विकास में मदद करती हैं. समारोह को मंत्री अन्नपूर्णा देवी और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने भी संबोधित किया. देवी ने कला-एकीकृत शिक्षा शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त कियातो कुमार ने कहा कि ‘कला उत्सव‘ उत्साह और खुशी से भरा हैजहां बच्चों को एक भारतश्रेष्ठ भारत की प्राचीन दृष्टि को प्रदर्शित करते हुए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता से जुड़ने का मौका मिलता है. इस अवसर पर विभाग के अपर सचिव आनंदराव विष्णु पाटिलराष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के निदेशक प्रो दिनेश प्रसाद सकलानी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे. कला उत्सव की राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. ज्योत्सना तिवारी ने उत्सव की संक्षिप्त अवधारणा और रूपरेखा प्रस्तुत की.