लखनऊ: अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित ‘किताब उत्सव‘ के दौरान अमृतलाल नागर के कृतित्व पर एक सत्र हुआ, जिसमें प्रोफेसर सूरज थापा ने नागर के सृजनकर्म के बारे में विस्तार से कई बातें बताईं. उन्होंने कहा कि लिखने के पहले नागर जी रिसर्च को पूरा महत्त्व देते थे. उनकी यह ताकत ‘गदर के फूल‘, ‘ये कोठेवालियां‘ या ‘नाच्यो बहुत गोपाल‘ जैसी किताबों को पढ़ते हुए महसूस की जा सकती है. उनकी रचनाओं में इतिहास एक बेहद महत्त्वपूर्ण तत्त्व के रूप में आता है. वे इतिहास के सहारे एक सांस्कृतिक उन्नयन पर काम कर रहे थे. नूर आलम ने उनकी कहानी ‘प्रायश्चित‘ का सुंदर पाठ किया. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक राकेश तिवारी ने कहा कि वे खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें अमृतलाल नागर का स्नेह मिला और न जाने कितनी चीजें उनसे सीखने को मिली.
इस सत्र में तिवारी ने अमृतलाल नागर के साथ बिताए अनेक रोचक और सरस प्रसंगों को श्रोताओं के साथ साझा किया. इस सत्र का संचालन अरुण सिंह ने किया. उत्सव के अगले सत्र में पत्रकार मार्क टली की किताब ‘धीमी वाली फास्ट पैसेंजर‘ का लोकार्पण कथाकार अखिलेश, आलोचक वीरेन्द्र यादव, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक राकेश तिवारी, कथाकार-संपादक मनोज कुमार पांडेय और अनुवादक पत्रकार प्रभात सिंह के हाथों हुआ. प्रभात सिंह ने कहा कि इस किताब में जो सात कहानियां हैं उनके केंद्र में गोरखपुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ आदि जगहें हैं. यह कहानियां अस्सी और नब्बे के दशक की कहानियां हैं. यह कहानियां अलग-अलग विषयों पर लिखी गई हैं, जिनमें किसान, मध्यवर्ग की समस्याएं वर्णित हैं. अंत में उन्होंने अंश पाठ किया. सत्र का संचालन शालिनी सिंह ने किया. किताब उत्सव का आयोजन राजकमल प्रकाशन समूह ने किया है.