शिमला: स्थानीय गेयटी थियेटर में साहित्येतिहास लेखन पर दो दिवसीय परिसंवाद के पहले दिन लेखक एसआर हरनोट ने कहा कि साहित्य का इतिहास लेखन एक गंभीर विषय है. परम्परा जेएनयू स्कॉलर ग्रुप हिंदी साहित्य के दस्तावेजीकरण के लिए एक बड़ा कार्य कर रहा है. हम इतिहास समूह से आग्रह करेंगे कि इतिहास के स्रोतों के लिए वह हिमाचल प्रदेश के गांवों की तरफ भी जायें, जहां के लोक जीवन में ऐतिहासिक स्रोतों की भरमार है. परिसंवाद में जेएनयू के इतिहास अध्येताओं ने स्थानीय लेखकों के समक्ष अपने विचार रखे. इस कार्यक्रम का आयोजन परम्परा जेएनयू स्कॉलर ग्रुप, हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच, ओकार्ड इंडिया, क्रिएटिव हिस्ट्री ट्रस्ट, आधार प्रकाशन और बक्सर स्कूल ऑफ हिस्ट्री ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम में जेएनयू के प्रोफेसर देवेंद्र चौबे ने कहा कि इतिहास लेखन में अभिलेखागरीय स्रोतों के साथ जन समाज की स्मृति में मौजूद ऐतिहासिक स्रोतों की छानबीन जरूरी है. साहित्य का इतिहास भी मूलतः इतिहास ही होता है, जिसके आधार पर किसी भी राष्ट्र या समाज के इतिहास को समझा जा सकता है. लेखक राजकुमार राकेश ने कहा कि इतिहास लेखन में पिछली सदी में हुई उन घटनाओं की पहचान जरूरी है, जिन्होंने इतिहास बनाया. इतिहासकार रश्मि चौधरी का कहना था कि बिना दृष्टि और पद्धति के इतिहास लेखन एक जोखिम भरा कार्य है.

परिसंवाद में डॉ आशुतोष कुमार ने जहां मध्यकाल पर पुनर्विचार की बात की, वहीं कर्म सिंह ने अब तक के इतिहासकारों की दृष्टि पर विचार रखे. सत्यनारायण स्नेही ने इतिहास के बुनियादी ढांचे पर सवाल उठाया, तो हिमाचल विश्वविद्यालय के वीरेंद्र सिंह ने उस इतिहास की तरफ ध्यान आकर्षित किया, जिसे पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जा रहा है. डॉ विजयलक्ष्मी नेगी ने इतिहास के छूटे हुए प्रसंगों को शामिल करने की मांग की. जेएनयू के इतिहास अध्येताओं अजय कुमार यादव, संजय कुमार, सुशील कुमार, प्रियंका कुमारी, आरती, नीलम रानी, देविना अक्षयवर, नीतीश यादव, आमिर हमजा ने कहां कि इतिहास लेखन में अब एक नई दृष्टि, युवा दृष्टि की जरूरत है और अब तक लिखे गए इतिहास में जो असंगतियां है, उससे भी उसे मुक्त कराने की आवश्यकता है. आनेवाला समय एक नए इतिहास का है, जो परंपरागत ढांचे से बाहर निकलकर समकालीन संदर्भों में इतिहास को समझने की कोशिश करेगा. कार्यक्रम के आरंभ में युवा लेखिका और संत बीड्स कॉलेज में प्राध्यापक देविना अक्ष्यावर ने परिसंवाद के लिए शिमला से अध्येताओं और अन्य अतिथियों का स्वागत किया. पल प्रतिपल के संपादक तथा आधार प्रकाशन के देश निर्मोही ने कहा कि पांच खंडों में इतिहास समूह के लेखकों द्वारा लिखित किताब का प्रकाशन हमारे लिए गर्व की बात है जिसका अंतिम खंड पांच 2029 में आएगा. ओकार्ड इंडिया के सचिन कुमार ने कहा कि इतिहास केंद्रित इस आयोजन का हिस्सा बनकर गर्व बोध हो रहा.