मधुबनी: “संस्कृत भाषा साहित्य के संरक्षण व संवर्धन के लिए यह सरकार कृतसंकल्पित है. संस्कृत भाषा साहित्य के प्रभाव से ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पौराणिक, धार्मिक धरोहर की रक्षा हो रही है.” यह बात पूर्व कुलपति डा शशिनाथ झा ने जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम आदर्श संस्कृत कालेज लगमा में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा और संगोष्ठी में कही. इस संगोष्ठी में देश के दिग्गज आचार्य जुटे हुए हैं. प्राचार्य डा सदानन्द झा के संयोजन में आयोजित इस आयोजन में संस्कृत भाषा साहित्य के विशिष्ट विद्वानों ने अपना मंतव्य दिया. परिचर्चा का उद्देश्य संस्कृत भाषा साहित्य के संरक्षण व संवर्धन पर है. इस अवसर पर कहा कि डा शशिनाथ झा ने कहा कि मिथिलांचल परिक्षेत्र में शास्त्रार्थ की परम्परागत पौराणिक वर्णन प्रस्तुतीकरण विभिन्न अभिलेखों में उल्लेखित है. उन्होंने कहा कि मिथिलांचल के विद्वान अपनी विद्वता से प्रचलित होते रहे.
इस परिसंवाद में प्रदत्त निमित्त विषयक मिथिलायां शास्त्रीय परम्परायाः वैशिष्ट्यम् निर्धारित रहा. वेद विभागाध्यक्ष डा कृष्णमोहन झा के मंगलाचरण से कार्यक्रम का आरंभ हुआ, जिसमें महाविद्यालय के विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों सहित बड़ी संख्या में छात्र- छात्राओं ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में कासिद संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष डा श्रीपति त्रिपाठी ने वेद उपनिषद व विभिन्न धर्म ग्रन्थों का वृहत वर्णन किया. कार्यक्रम में डा रमेश कुमार झा, आकाश पाण्डेय, डा सुशील चौधरी, डा संगीत कुमार, डा नागेन्द्र झा सहित अन्य विशिष्ट लोग उपस्थित रहे.