नई दिल्ली: हिंदी का प्रचार और अधिक उपयोग हमें प्रधानमंत्री के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य के नजदीक लाता है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने यह बात रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक के दौरान कही. मांडविया ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक उद्धरण से बात शुरू की. गांधीजी ने राष्ट्र की प्रगति के लिए राष्ट्रीय प्रथाओं में हिंदी के उपयोग के महत्त्व पर जोर दिया था. भारत के संविधान के अनुच्छेद 351 में आदेशित रूप से भारत की समग्र संस्कृति को दर्शाने वाली अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में हिंदी को अपनाने से यही भावना प्रतिध्वनित होती है. मांडविया ने सरकारी कामकाज में मंत्रालयों द्वारा हिंदी का उपयोग करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि रसायन और उर्वरक मंत्रालय, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि राजभाषा हिंदी का प्रचार हो और वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया जा सके. यह मंत्रालय हमारे सामूहिक राष्ट्रवाद को दर्शाते हुए हिंदी को हमारी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में मान्यता देता है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में वर्तमान सरकार हिंदी के प्रयोग में सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के सिद्धांतों को तेजी से लागू कर रही है. प्रधानमंत्री स्वयं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने संबोधन के दौरान संचार साधन के रूप में अधिकतर हिंदी का उपयोग करते हैं और सरल तथा समझने योग्य ऐसी भाषा के माध्यम से भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने का आग्रह करते हैं, जो सभी भारतीय भाषाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करती है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री और संसदीय राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह स्वयं एक उत्साही हिंदी वक्ता हैं और वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनके मंत्रालयों में अधिक से अधिक काम हिंदी में किया जाए. मांडविया ने आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपक्रमों को प्रशस्ति पत्र और राजभाषा शील्ड भी प्रदान किया. कार्यक्रम में लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब, रसायन और उर्वरक विभाग के सचिव अरुण भरोका, औषधि विभाग की सचिव एस अपर्णा, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार, हिंदी विद्वान और हिंदी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.