शिमला: हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने अनूठे साहित्यिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय प्रयासों के लिए चर्चित हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच ने पांच लेखिकाओं को हिंदी और साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करने का निर्णय लिया है. इन रचनाकारों में हिंदी और उर्दू की प्रख्यात लेखिका-गजलकार डा नलिनी विभा ‘नाजली‘ को ‘आजीवन उपलब्धि साहित्य सम्मान‘ से नवाजा जाएगा, जबकि चार युवा लेखिकाओं- डा प्रेरणा ठाकरे, डा देवकन्या ठाकुर, दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ और डा देविना अक्षयवर को ‘हिमालय युवा साहित्य सम्मान‘ से अलंकृत किया जाएगा. यह जानकारी प्रख्यात लेखक व हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने एक प्रेस वक्तव्य में दी है. हरनोट ने बताया कि वरिष्ठ लेखिका डा नलिनी विभा ‘नाजली‘ का नाम एक शायरा और गजलकार के रूप में देश भर में प्रख्यात है. उनके अब तक 13 गजल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें दो पुस्तकें बच्चों के लिए भी शामिल हैं. हाल ही में उनका गजलों का वृहद् ग्रन्थ ‘दीवान-ए-नाजली‘ प्रकाशित हुआ है, जिसमें उनकी पांच सौ के क़रीब गजलें संग्रहीत हैं. नाजली को प्रदेश और देश के अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.
पुरस्कार के लिए चयनित युवा रचनाकारों में डा प्रेरणा ठाकरे की मूल भाषा मलयालम है जबकि वे पिछले लगभग 25 सालों से हिंदी की मंचीय कविता में बेहद सक्रिय हैं और अपने प्रदेश में काफी लोकप्रिय हैं. हिंदी साहित्य में पीएचडी डा प्रेरणा ठाकरे मध्य प्रदेश के नीमच में एक सरकारी कालेज में हिंदी की आचार्य हैं. मंचीय कविता और बच्चों को कई व्यावहारिक सम-सामायिक विषयों को पढ़ाने में उन्हें महारथ हासिल है. वे हिंदी कविता, गजल और कहानी लेखन में सम्मान रूप से सक्रिय हैं. उनकी अब तक कविता और गजलों की चार और कहानी की एक पुस्तक प्रकाशित हैं. वे कई राज्य-स्तरीय सम्मानों से अलंकृत हैं. डा देव कन्या ठाकुर हिंदी साहित्य और फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं. अब तक आपकी अंग्रेजी और हिंदी में पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं और हिमाचल के कई दुर्लभ विषयों में कई फिल्मों का निर्माण कर चुकी हैं, जिन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं. पिछले कई सालों से देवकन्या ठाकुर शिमला अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का संचालन भी कर रही हैं. दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ लेखन के साथ अध्यापन में रहते हुए हिंदी की सेवा कर रही हैं. उनकी अब चार कविता और एक कहानी की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है. साथ ही डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं. डा देविना अक्षयवर मूल रूप से मारीशस की निवासी हैं, लेकिन जेएनयू से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने स्थायी निवास शिमला को बना लिया है. वे फ्रेंच भाषा की विद्वान हैं. इन दिनों शिमला के प्रतिष्ठित कालेज सेंट बीड्स में हिंदी की सहायक प्राध्यापक हैं. प्रवासी साहित्य की अध्येता अक्षयवर कविता, कहानी और आलोचना में समान रूप से अपनी भूमिका निभा रही हैं. शिमला में अक्तूबर मास में आयोजित सम्मान समारोह में इन्हें सम्मानित किया जाएगा.