शिमला: स्थानीय गेयटी सभागार में ‘साहित्य और अनुवाद’ पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो ऊषा बंदे थीं.अध्यक्षता प्रो मीनाक्षी एफ पाल जी ने की. इस आयोजन के समन्वयक कांगड़ा के लेखक-अनुवादक पंकज दर्शी थे. उन्होंने बीज वक्तव्य में ‘अनुवाद और साहित्य’ पर अपने अनुभव साझा किए और बताया कि भाषाई समृद्धि का आधार ही अनुवाद है. कार्यक्रम में प्रो अब्दुल बिस्मिल्लाह, गंगाराम राजी, कृष्णचंद महादेविया, पवन चौहान, मुरारी शर्मा और त्रिलोक मेहरा उपस्थित थे. पंकज दर्शी ने उनकी पुस्तकों के अंग्रेजी अनुवाद पर विस्तार से चर्चा की और अपने अनुभव साझा किए. पंकज दर्शी ने अनुवाद की अनिवार्यता पर विस्तार से बात की.

परिचर्चा में डा देवेंद्र गुप्ता, डा कर्म सिंह, ओम प्रकाश शर्मा और दीप्ति सारस्वत ने भाग लिया. ऊषा बांदे, मीनाक्षी पाल और देवेंद्र गुप्ता ने अनुवाद पर बहुत ही सार्थक वक्तव्य दिए. बिस्मिल्लाह ने अपने वक्तव्य में अनुवाद पर बहुत ही दिलचस्प बातें की. उन्होंने बताया कि अच्छा अनुवाद और खराब अनुवाद किस तरह मूल रचना का स्वभाव और तथ्य बदल देता है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों, शिक्षकों, छात्रों के साथ आरती सूद गुप्ता, डा इंद्र सूर्यान, अनिता शर्मा, डा रौशन जिंटा, प्रवीण चांदला, स्नेह नेगी, उमा ठाकुर नधैक, कल्पना गांगटा, वंदना राणा, हेमा, हितेंद्र शर्मा, दक्ष शुक्ला, स्नेहा हरनोट, इंदु परिहार और जगदीश कश्यप आदि उपस्थित थे. संचालन जगदीश बाली ने किया.