मुजफ्फरपुर: स्थानीय श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन हुआ, जिसमें गीत-गजलों की बयार बही. कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से हुई. जिसमें गीतकार डा विजय शंकर मिश्र ने ‘गीत रचें हम गुलमोहर की छांव में, तपन-ताप से मुक्ति मिले फिर गुलमोहर की छांव में…’ सुनाकर खूब तालियां बटोरीं. गजलकार डा नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने, ‘मानव जीवन पाये हो तो कुछ अच्छा कर लो ना, कष्टों के कांटे हटाकर खुशियों की झोली भर लो ना…’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी. आचार्य चंद्रकिशोर पाराशर ने पढ़ा, ‘हर दिल में शिवाला हो तो कोई बात बने, हर मुंह में निवाला हो तो कोई बात बने…’ इसी तरह डा लोकनाथ मिश्र ने सुनाया, ‘अकेला ही तो आया था अकेला ही जाऊंगा…’ पर लोग सोचने के लिए बाध्य हो गए.
कवि सम्मेलन और इस गजल महफिल की अगली प्रस्तुति प्रमोद नारायण मिश्र की थी. मिश्र ने सुनाया ‘याद आई पर तू न आई, सूख गई सब तरुणाई’, तो शुभनारायण शुभंकर ने पढ़ा, ‘हमदर्द कहां कोई मतलब के यार सभी’., अंजनी कुमार पाठक ने पढ़ा, ‘इस कड़ी धूप में हम तपते रहे’, तो सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी गीत ‘अइले बइसाख मास लगने के दिनवा…’ सुनाया. मोहन कुमार सिंह ने ‘चाल चरित्र चेहरा राजनीति में कहां ठहरा’ पढ़ा, तो डा जगदीश शर्मा ने ‘घूल धूप की तासीर दिन रात की अलग है’ पढ़कर लोगों का दिल जीत लिया. नरेन्द्र मिश्र ने ‘वंचिता कुमुदुनी पराग में सिमट गई’ सुनाया, तो मुन्नी चौधरी ने ‘अब यह कैसा मोह’ सुनाया. दीनबंधु आजाद ने ‘हंसना और हंसाना कोशिश है’ मेरी सुनाया. इसके अलावा अशोक भारती, नंद किशोर पोद्दार, सुरेन्द्र कुमार, संजय कुमार की भी रचनाएं सराही गईं.