नई दिल्ली: साहित्य अकादमी भविष्य के सभी लेखकों का अकादमी परिवार में स्वागत करती है और उम्मीद करती है कि आने वाले समय में आप एक संवेदनशील नागरिक और लेखक बनकर देश की प्रगति में सहयोग करेंगे.” साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने यह बात साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला ‘क़िस्सा-ओ-कलम’ के समापन अवसर पर कही. ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बच्चों तथा युवा पीढ़ी को भारतीय भाषाओं तथा साहित्य के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पढ़ने और स्वयं लिखने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य को लेकर अकादमी ने अपने सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया था. इस कार्यशाला में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 75 बच्चों ने भाग लिया. कार्यशाला के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए. कार्यशाला का संचालन चंदना दत्ता और वंदना मिश्र द्वारा किया गया. कार्यशाला के दौरान बाल साहित्य विशेषज्ञ अर्चना अत्रि के साथ एक विशेष संवाद कार्यक्रम और पुस्तकालय भ्रमण का भी विशेष आयोजन किया गया था.

इस अवसर पर अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने साहित्य अकादमी द्वारा संचालित नवोदय योजना का परिचय भी दिया, जिसमें उभरते हुए युवा साहित्यकार अपनी प्रथम पुस्तक का प्रकाशन साहित्य अकादमी द्वारा करवा सकते हैं. उन्होंने कार्यशाला के दौरान बच्चों द्वारा लिखी गई विभिन्न रचनाओं का संचयन प्रकाशित करने की संभावना भी व्यक्त की. ज्ञात हो कि साहित्य अकादमी द्वारा अपनी तरह की पहली इस कार्यशाला का आयोजन 2017 से शुरू किया गया था लेकिन कोरोना महामारी के चलते दो साल इस कार्यशाला को आयोजित नहीं किया जा सका था. कार्यशाला का यह चौथा संस्करण था. कार्यशाला के लिए 8 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों का चयन, उनके माता-पिता से बातचीत और बच्चों के साक्षात्कार के बाद, कौशल के आधार पर किया गया था. पांच दिवसीय इस कार्यशाला का संयोजन अकादमी के उपसचिव एन. सुरेशबाबु ने किया.