नई दिल्ली: देश और दुनिया में हिंदी की सर्वाधिक प्रसार संख्या के समाचार-पत्र दैनिक जागरण ने हिंदी दिवस के अवसर पर ‘हिंदी हैं हम‘ अभियान के अंतर्गत राजधानी में ‘संवादी‘ कार्यक्रम का आयोजन किया. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के साथ केंद्र के परिसर में आयोजित अभिव्यक्ति के इस उत्सव में भाषा, साहित्य, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र से जुड़ी विशिष्ट हस्तियों ने हिस्सा लिया. दीप प्रज्वलन के साथ पूरे दिन चले ‘जागरण संवादी‘ के इस विशिष्ट आयोजन में कुल चार सत्र हुए, जिनमें उपस्थित लेखक, शिक्षाविद और संस्कृतिकर्मी वक्ताओं ने एक मत से हिंदी को राजभाषा के बदले राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की बात कही. उद्घाटन सत्र में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा‘ पर चर्चा हुई. दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी और केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक सुनील कुलकर्णी ने इस सत्र में एक तरह से पूरे दिन के आयोजन की दिशा निर्धारित कर दी. इन वक्ताओं ने कहा कि हिंदी महज भाषा नहीं है, बल्कि देश में अनेकता में एकता का स्वरूप इसी से तय होता है. इसलिए हिंदी को राजभाषा नहीं राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए.
पहले सत्र का विषय ‘साहित्य और दिल्ली‘ था. इसमें लेखक व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रो सुधीश पचौरी, लेखक व रेलवे बोर्ड के पूर्व संयुक्त सचिव प्रेमपाल शर्मा और साहित्य अकादमी से सम्मानित बाल साहित्यकार दिविक रमेश वक्ता रहे. दूसरा सत्र ‘भारत का भविष्य और साहित्य‘ विषय पर था. इसमें साहित्य अकादमी के सचिव डा के श्रीनिवासराव, लेखिका क्षमा शर्मा और वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी ने हिस्सा लिया. तीसरे सत्र में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिंदी‘ विषय पर चर्चा हुई. इस सत्र में लालबहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुरली मनोहर पाठक, एनआईईपीए की कुलपति प्रो शशिकला वंजारी व राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान की अध्यक्ष प्रो सरोज शर्मा से प्रो रवि प्रकाश टेकचंदाणी ने संवाद किया. चौथे सत्र में ‘सिनेमा, समाज और संस्कृति‘ पर विमर्श किया गया. इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डा सच्चिदानंद जोशी, संस्कृतिकर्मी संदीप भूतोड़िया ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम में सभी वक्ताओं का अभिनंदन अंगवस्त्र के साथ पौधा देकर किया गया.