सहरसा: मैथिली साहित्य और सिनेमा की संभावनाओं पर केंद्रित एक दिवसीय परिसंवाद का आयोजन स्थानीय ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज के सभागार में साहित्य अकादेमी और कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ. इस आयोजन में देश-विदेश से पहुंचे फिल्मकर्मियों और साहित्यकारों ने अपनी बात रखी. प्रसिद्ध रंग निर्देशक कुणाल ने साहित्यिक पृष्ठ भूमि पर केंद्रित मैथिली धारावाहिक ‘नैन न तिरपित भेल‘ पर विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने मैथिली फिल्म व धारावाहिक के विकास की बातों को सामने रखा और इसकी असीम संभावनाओं की तरफ ध्यान आकर्षित किया. लेखक रमण कुमार सिंह ने राजकमल चौधरी की कहानी ‘ललका पाग‘ के प्रभाव की बात कही और उसके रंगमंच सहित सिनेमाई यात्रा पर वक्तव्य दिया. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मैथिली साहित्य और फिल्म का विस्तार कैसे संभव हो सकता है. इस सत्र के अन्य वक्ताओं में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली से पहुंचे प्रकाश झा ने मैथिली रंगमंच और सिनेमा के अन्तर्सम्बन्धों पर विस्तृत विमर्श रखा, तो फिल्म निर्देशक एन मंडल और प्रवीण नारायण चौधरी ने ‘मैथिली साहित्य और सिनेमा के विकास‘ पर आलेख प्रस्तुत किया.
नेपाली फिल्मों के चर्चित अभिनेता और लेखक रमेश रंजन ने मैथिली साहित्य और टेलीविजन पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया और इसके विकास को लेकर भविष्य की संभावनाओं पर विचार प्रकट किया. इस सत्र में गीतकार राज शेखर, पत्रकार पुष्य मित्र, रामकुमार सिंह और शैलेंद्र शैली ने निर्धारित विषय पर दर्शकों के साथ संवाद स्थापित किया और मैथिली साहित्य और सिनेमा के विकास के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला. समापन अवसर पर डा रजनीश रंजन ने कहा कि मैथिली सिनेमा में रोजगार की असीम संभावनाए है. शाहाबाद एवं सारण प्रमंडल को छोड़कर बिहार एवं झारखंड के लगभग सभी प्रमंडल में मैथिली सिनेमा प्रेमियों की संख्या बहुत है. चूंकि मैथिली साहित्य का उदभव करनाल वंश के समय हुआ, यही कारण है मैथिली साहित्य इतने बड़े भूभाग के जनमानस में स्थापित है. उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सिने अदाकारों, कथाकारों एवं कलाकारों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि समस्त कोशीवासी इस सहयोग एवं समर्थन हेतु उनका आभार प्रकट करते हैं. इस अवसर पर मनीषा रंजन, डा नागेन्द्र कुमार झा, किसलय कृष्ण और अभय मनोज सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, छात्र, साहित्य और सिनेमा-प्रेमी उपस्थित थे.