शिमला: “सत्य का अन्वेषण भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान है. विश्व के लोगों को धर्म का सही और व्यापक स्वरूप भारत ने ही बताया, क्योंकि भारत में चरित्र निर्माण में सबसे अधिक भूमिका धर्म की है जो कि मूल भारतीय तत्व सत्य के अन्वेषण पर आधारित है, जबकि अन्य धर्म केवल सीमित दायरे में इसकी व्याख्या करते हैं.” यह बात किस्मत कुमार ने कही. वह विश्व संवाद केंद्र शिमला में आयोजित राज्य-स्तरीय पत्रकार सम्मान कार्यक्रम में बोल रहे थे. कुमार ने कहा कि भारतीयों का मूल चिंतन लाखों साल पुराना है जो कि सत्य का अन्वेषण पर आधारित है. जैसे आज भी एक भारतीय परिवार में किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए सत्य नारायण की कथा करवाई जाती है, ताकि हम अपने मूल स्वरूप और मूल चिंतन सत्य के अनुसंधान से जुड़े रहे. दूसरे धर्म में यह बात नहीं है, जिस कारण धर्म की अपेक्षा उनको मजहब कहना ही सही है. उन्होंने कहा कि हमारे भारतीय समाज के आदर्श चरित्रों को खराब करने का योजनापूर्वक प्रयास किए किए गए.
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आरती सूद ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज वो समय है, जब हम पुराने नकारात्मक विमर्श को लेकर जागरूक हो. उन्होंने महर्षि नारद द्वारा लिखित समाज के लिए कल्याणकारी ग्रंथों का जिक्र किया जिसमें नारद भक्ति सूत्र, नारद पुराण, नारदीय ज्योतिष आदि ग्रंथ समाज के मार्गदर्शक का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने विश्व संवाद केंद्र के सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में किए कार्यों की सराहना की. इस अवसर पर प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप ने कहा कि आज आम नागरिकों की सहभागिता हुई है. अब पत्रकारिता कुछ लोगो तक सीमित नहीं नही रह गई है. इस मौके पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जय प्रकाश लिखित पुस्तक नारदीय संचार नीति का अनावरण किया गया. कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में वरिष्ठ अध्येता प्रोफेसर हरीमोहन बुधोलिया उपस्थित रहे. सेवानिवृत्त उपकुलपति नरेंद्र कुमार शारदा, विश्व संवाद केंद्र न्यास के अध्यक्ष राजेश बंसल, उपाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह चौहान, प्रांत सह प्रचार प्रमुख मोतीलाल, प्रकाश भारद्वाज, अनिल हेडली सहित 100 से अधिक पत्रकारों ने सहभागिता की.