नई दिल्लीः राजधानी स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘हमारी भाषा, हमारी विरासत’ शीर्षक प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने किया. 75वां अंतरराष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस पर आयोजित यह प्रदर्शनी एक राष्ट्र के रूप में भारत की भाषाई विविधता की बहुमूल्य विरासत को याद करने का एक प्रयास है. ‘राष्ट्र एक भाषा अनेक’ वाला भारत असाधारण भाषाई विविधता से समृद्ध है. एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली 7,111 भाषाओं में से लगभग 788 भाषाएं अकेले भारत में बोली जाती हैं. इस प्रकार, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया और नाइजीरिया के साथ भारत दुनिया के चार सबसे अधिक भाषाई विविधता वाले देशों में से एक है. मंत्री लेखी ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार ने 5-6 सदी के बीच लिखी गई गिलगित पांडुलिपि उपलब्ध कराई है, जो भारत का सबसे पुराना पांडुलिपि संग्रह है. कश्मीर क्षेत्र में बर्च के पेड़ों की छाल की आंतरिक परत के टुकड़ों पर लिखे इन फोलियो दस्तावेजों में विहित एवं गैर-विहित जैन तथा बौद्ध रचनाएं शामिल हैं, जो धार्मिक-दार्शनिक साहित्य के विकास पर प्रकाश डालते हैं. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को गिलगित पाण्डुलिपियों से परिचित कराया जाना चाहिए.

मंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार परिसर में लगभग 72,000 से अधिक पांडुलिपियां उपलब्ध कराने के लिए बधाई दी और भरोसा जताया कि डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के जरिए ये पांडुलिपियां दुनिया भर में पहुंचेंगी, जो विशेष रूप से हमारी युवा पीढ़ी को इनसे अवगत होने में मदद करेगी. यह प्रदर्शनी अभिलेखीय भंडार से निकाली गई मूल पांडुलिपियों जैसे बर्च-छाल पर लिखित गिलगित पांडुलिपियां, तत्त्वार्थ सूत्र, रामायण, और श्रीमद् भगवद् गीता आदि के साथ ही सरकार की आधिकारिक फाइलों, औपनिवेशिक शासन के तहत प्रतिबंधित साहित्य, प्रतिष्ठित हस्तियों की निजी पांडुलिपियों के साथ-साथ एनएआई पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों के समृद्ध संग्रह में से चयनित संकलन प्रस्तुत करती है. इस प्रदर्शनी में दुनिया की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां शामिल हैं, जिनमें गिलगित पांडुलिपियों को नौपुर गांव (गिलगित क्षेत्र) में तीन चरणों में खोजा गया था, और इसकी घोषणा पहली बार 1931 में पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन द्वारा की गई थी. इतना ही नहीं, यह प्रदर्शनी देशभर में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं से संबंधित अभिलेखीय रिकॉर्ड के विशाल कोष पर प्रकाश डालती है. यह प्रदर्शनी 8 जुलाई तक शनिवार, रविवार और राष्ट्रीय अवकाश सहित प्रत्येक दिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक जनता के देखने के लिए खुली रहेगी.