मिर्जापुर: हर घड़ी एक सूर्य का अवसान है, आजकल दिन की यही पहचान है. क्यों किसी के होंठ पर मुस्कान है, एक तबका इसलिए हैरान है… जैसी पंक्तियों के रचनाकार और जनपद के युवा नवगीतकार कवि शुभम श्रीवास्तव ओम के निधन से साहित्यकारों में शोक की लहर है. 30 वर्षीय शुभम पिछले दो महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे. मिर्जापुर के ग्राम बेलवन में जन्मे शुभम ने लेखन से राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की थी. वह नवगीत के क्षेत्र की ऐसी प्रतिभा बनकर उभरे थे कि वरिष्ठ रचनाकार भी उनके गीतों के मुरीद थे. शुभम ने अपने तीन मौलिक नवगीत संग्रह ‘फिर उठेगा शोर एक दिन’, ‘गीत लड़ेंगे अंधियारों से’ और ‘शोक गीतों के समय में’ से अपनी विशेष पहचान बनाई थी. उन्होंने 5 नवगीत संकलनों का संपादन भी किया था, जो ‘हम असहमत हैं समय से’, ‘हर सन्नाटा बोलेगा’, ‘मैं चंदन हूं’, ‘त्रिकाल संध्या के नवगीत’ और ‘शब्दों की शक्लों में’ नाम से प्रकाशित हुए थे. शुभम उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान, महेश अनघ स्मृति सम्मान सहित अनेक सम्मानों से सम्मानित थे.
यही वजह है कि मीरजापुर ले अपर आयुक्त डा विश्राम ने जैसे ही शुभम के निधन की खबर सुनी, उनकी प्रतिक्रिया थी, ‘हे प्रभु, जिस तरह का अशुभ महाभारत में अभिमन्यु के साथ हुआ था और कालजयी अभिमन्यु छोटी उमर में स्वर्गारोहण पर निकल गया था वही स्थिति साहित्य जगत के अभिमन्यु-सरीखे शुभम की क्यों कर दी? अभी तो शुभम को साहित्य की लंबी यात्रा करनी थी.
शुभम को याद करते हुए नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा कि 21वीं सदी के दूसरे दशक में नवगीत की डाल पर जो हरी संभावनाओं की कोंपलें फूटी थीं, उनमें से मिर्जापुर के शुभम प्रमुख थे. शुभम को उत्तर प्रदेश की कई साहित्यिक संस्थाओं ने भी याद किया, जिनमें अक्षरा, हस्ताक्षर, साहित्यिक मुरादाबाद एवं मुरादाबाद लिटरेरी क्लब शामिल है. इन संस्थाओं की ओर से डा मक्खन मुरादाबादी, मंसूर उस्मानी, डा अजय अनुपम, डा कृष्ण कुमार नाज, जिया जमीर, डा माधव शर्मा, श्रीकृष्ण शुक्ल, राजीव प्रखर, मीनाक्षी ठाकुर, डा मनोज रस्तोगी, मनोज मनु, मयंक शर्मा, दुष्यंत बाबा, राहुल शर्मा, फरहत अली, डा प्रदीप शर्मा आदि ने शुभम की गीतों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.