जयपुरः राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान छात्रों ने हिंदी भाषा तथा साहित्य को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी पहल की है. छात्रों ने इसके लिए एक त्रैमासिक डिजिटल पत्रिका शुरू की है, जिसका नाम है ‘प्रयास’. इसके लोकार्पण अवसर पर स्थानीय डॉ राधाकृष्णन स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी में ‘पत्रकारिता और साहित्य’ की वर्तमान स्थिति पर एक परिचर्चा का भी आयोजन हुआ. परिचर्चा में पूर्व सूचना आयुक्त प्रो नारायण बारेठ ने कहा कि पत्रकारिता और साहित्य के ऐतिहासिक सम्बन्ध वर्तमान दौर में टूटते नजर आ रहे हैं. हिंदी पत्रकारिता विज्ञापनों की अधिकता, राजनीतिक दबावों आदि के सामने अपनी गुणवत्ता खो रही है, जिससे गंभीर रिपोर्टिंग पढ़ने को इच्छुक पाठक मजबूरन अंग्रेजी पत्रों की तरफ रुख करते हैं. बारेठ ने कहा कि युवाओं की यह पहल इस समय में आशा की किरण है, जो पत्रकारिता में गुणवत्ता को पुनर्जीवित कर सकती है. आरंभ में वरिष्ठ पत्रकार प्रो नारायण बारेठ, चर्चित लेखक नवीन चौधरी, राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ जगदीश गिरी और पत्रिका की संपादकीय टीम के सदस्यों ने पत्रिका का लोकार्पण किया.

राजनीति पर केंद्रित ‘जनता स्टोर’ और ‘ढाई चाल’ जैसे चर्चित उपन्यासों के लेखक नवीन चौधरी ने राजनीतिक ध्रुवीकरण वाले वातावरण में मीडिया की जरूरी भूमिका पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि पत्रिकाएं फीचर को जगह दे कर अच्छी पत्रकारिता का स्रोत बन सकती हैं, जबकि समाचार पत्रों के सामने ऐसा करने की कई सीमाएं होती हैं. चौधरी ने उस संतुलन को आवश्यक बताया, जिससे व्यावसायिकता पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित न कर सके. राजस्थान विश्वविद्यालय के डॉ जगदीश गिरी ने बताया कि जिम्मेदार पत्रकारिता ने इतिहास में समाज को हमेशा राह दिखाई है, लेकिन व्यावसायिकता के अंधानुकरण से वर्तमान में स्थिति को बदल दिया है. इसे ‘प्रयास’ जैसी कोशिशों द्वारा पुनः स्थापित किया जा सकता है. ‘प्रयास’ पत्रिका के संपादक राहुल यादव ने अप्रैल-जून अंक के मुख्य आकर्षणों और आगामी संस्करण के संबंध में योजनाएं प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि पत्रिका में सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ साहित्य को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाएगा.